देश में जितनी कंपनियां कमा रही हैं मुनाफ़ा, उनसे 17 हज़ार ज़्यादा हैं घाटे में
इस वक़्त देश में जितनी कंपनियां मुनाफ़ा कमा रही हैं, उनसे 16910 ज़्यादा कंपनियां घाटे में चल रही हैं.
देश में चरमराती अर्थव्यवस्था ने चौतरफ़ा कोहराम मचा रखा है. आलम ये है कि इस वक़्त देश में जितनी कंपनियां मुनाफ़ा कमा रही हैं, उनसे कहीं ज़्यादा घाटा उठाने को मजबूर हैं. संसद के मानसून सत्र में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे के एक लिखित सवाल के जवाब में ये जानकारी दी.
सरकार के मुताबिक़ इस वक़्त देश में मुनाफ़ा कमा रही कंपनियों की कुल संख्या 3,63,255 है, जबकि घाटे में रहने वाली कंपनियों की तादाद 3,80,165 है. वित्त मंत्रालय ने ये जानकारी फाइनेंशियल स्टेटमेंट और एनुअल रिटर्न्स के आंकड़ों के आधार पर दी.
सरकार ने उठाए ये कदम
सवाल में ये पूछा गया था कि प्रतियोगिता के इस दौर में घाटा उठाने वाली कंपनियों को मज़बूती देने और उन्हें मुनाफ़ा कमाने वाली यूनिट में तब्दील करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि कोविड-19 और लॉकडाउन के दौर में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं.
1. सरकार ने कंपनीज़ फ्रेश स्टार्ट स्कीम 2020 के तहत अतिरिक्त शुल्क दिए बिना डॉक्यूमेंट्स फाइल करने की कंपनियों को छूट दी है.
2. सरकार ने LLP सेटमेंट स्कीम 2020 के तहत LLP को उसी तरह की सुविधा मुहैया कराई गई है जैसी CFSS 2020 के तहत मुहैया कराई गई थी.
3. सरकार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बोर्ड और जनरल मीटिंग शुरू करने के लिए नए प्रावधान बनाए हैं.
4. आईपीएफए (लेखांकन, लेखापरीक्षा, अंतरण और रिफंड) नियम, 2016 की धारा 124 और 125 के तहत फ़ाइल करने के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं.
5. जिन कंपनियों का वित्त वर्ष 31 दिसंबर 2019 को ख़त्म हुआ, उनको आम बैठक करने और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भी बैठक करने की छूट दी गई.
6. कॉरपोरेट्स को कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिल (CSR) फंड के तहत स्वास्थ्य, स्वच्छता और आपदा प्रबंधन जैसी गतिविधियों में ख़र्च करने की छूट दी गई.
7. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 30 सितंबर 2020 के बाद भी वार्षिक आम बैठक करने के लिए 12 लाख कंपनियों को तीन महीने की छूट दी गई. ये छूट उन कंपनियों को दी गई. इसके लिए किसी भी तरह का भुगतान करने की ज़रूरत नहीं है और न ही किसी भी तरह का आवेदन देने की.
हालांकि उद्योग जगत के लोग सरकार के इन कदमों को अब भी नाकाफी बता रहे हैं और सरकार से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.
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