डॉक्टर कफील खान का नाम अगर डॉक्टर कृष्ण कुमार होता तो...
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गुरुवार को डॉक्टर कफील खान के मामले में सुनाए गए फैसले के क्या हैं मायने.
डॉक्टर कफील खान और मुझमें एक समानता है, वह यह कि हम दोनों का घर गोरखपुर है. मेरी उनसे कभी कोई मुलाकात नहीं है. मैं उन्हें उनके काम की वजह से जानता हूं.

मैंने उनका नाम पहली बार तब सुना जब अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के अभाव में करीब 50 बच्चों की मौत हो गई. घटना के समय मैं दिल्ली के एक अखबार में काम करता था. दोपहर में मुझे बच्चों के मरने की खबर मिली. उसके बाद मैंने उससे जुड़ी और खबरें जुटानी शुरू कीं. शाम होते-होते में मुझे खबर की भयावहता का एहसास हो गया. खबर थी भी भयावह. 21वीं सदी के दूसरे दशक में करीब 50 बच्चे केवल इसलिए मर गए क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं था. मरने वाले बच्चे गरीब परिवारों के थे.
अगले दिन मैंने गोरखपुर के अखबारों को खंगालना शुरू किया ताकि खबरों के अन्य आयाम जान सकूं. इस दौरान अखबारों में डॉक्टर कफील खान का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा था. क्योंकि जिस वार्ड में बच्चों की मौत हुई थी, उसके इंचार्ज वो ही थे. इस दौरान कुछ अखबारों में छपी एक खबर ने सबको चौंकाया. खबर यह थी कि जब ऑक्सीजन के अभाव में बच्चे मर रहे थे तो डॉक्टर कफील ने अपने पैसे से ऑक्सीजन के सिलेंडर खरीदे और अपनी गाड़ी में लादकर अस्पताल ले आए. डॉक्टर कफील ने अपनी तरफ से बच्चों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यह भी सामने आया ऑक्सीजन की कमी की जानकारी अस्पताल के उच्चाधिकारियों को समय रहते दे दी गई थी. इस खबर से मेरे मन डॉक्टर कफील की छवि एक जनसरोकार वाले डॉक्टर की बनी. बाद के दिनों में यह छवि और मजबूत होती चली गई.

लेकिन इसके साथ ही डॉक्टर कफील की परेशानियों का सिलसिला भी शुरू हो गया. ऑक्सीजन कांड में उन्हें जेल जाना पड़ा. हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो रिहा हुए. विभागीय जांच में पाक-साफ घोषित किए गए. लेकिन अभी तक मेडिकल कॉलेज में दोबारा नियुक्ति नहीं मिली है.
सीएए-एनआरसी का विरोध
इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लेकर आई. सीएए और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया. डॉक्टर कफील ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिसंबर 2019 में दिए एक भाषण के आधार पर पुलिस ने उन्हें 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया. उन्हें अलीगढ़ की एक अदालत ने जमानत दे दी. लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया. जिला प्रशासन ने उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई कर मथुरा जेल में डाल दिया. सरकार ने उन पर देश विरोधी भाषण देने का आरोप लगाया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार के आरोपो को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि डॉक्टर कफील का भाषण राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाला था. हाई कोर्ट ने रासुका की कार्रवाई को निरस्त कर डॉक्टर कफील को रिहा करने का आदेश दिया. डॉक्टर कफील 1 सितंबर की रात मथुरा जेल से रिहा हुए.

हाई कोर्ट के इस आदेश को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया. इसे योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए बड़ा झटका माना गया.
दरअसल योगी आदित्यनाथ सरकार की छवि मुसलमान विरोधी सरकार की बन गई है. यह छवि दिन-प्रतिदिन मजबूत होती गई है. यह सिलसिला मांस कारोबारियों पर कार्रवाई के साथ शुरू हुआ था. सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनकारियों पर जिस तरह लखनऊ और प्रदेश के दूसरे हिस्सों में कार्रवाई की गई. उनसे रिकवरी के आदेश जारी किए गए. प्रदर्शनकारियों के फोटो समते पोस्टर लखनऊ के चौक-चौराहों पर लगाए गए. इससे लगा कि सरकार मुसलमानों के साथ बदले की भावना से काम कर रही है. हालांकि योगी सरकार की कार्रवाई की जद में कुछ दलित भी है. वहीं योगी सरकार बुलंदशहर में हुई हिंसा और एक इंस्पेक्टर की हत्या मामले में कान में तेल डाले नजर आई. सबसे ताजा मामला प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश है. कहा जा रहा है कि यह अध्यादेश दलितों और मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है. यह बात सच भी साबित होती दिख रही है, लखनऊ में लड़का-लड़की के परिजनों की मौजूदगी में हो रही शादी को भी पुलिस ने इसी अध्यादेश के नाम पर रुकवा दिया.

अदालतों में योगी आदित्यनाथ सरकार को निराशा भी हाथ लग रही है. सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगवाने और डॉक्टर कफील खान के मामलों में इसे देखा जा सकता है. अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कुछ सबक लेती है कि अपनी ही धुन में चलती रहती है.
देश की सबसे बड़ी अदालत से डॉक्टर कफील खान के हक में आए फैसले से उनके जैसे लोगों के लिए उम्मीद बंधी है कि उनकी लड़ाई थोड़ी लंबी और थकाने वाली जरूर है. लेकिन जीत सच की होगी.
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