किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वालों के पास उनकी आमदनी का आंकड़ा तक नहीं है
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2015-16 की आधार आय के साथ 2018-19 और 2019-20 के दौरान किसानों की आय की तुलना करने के लिए हाल के दिनों में कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है.
खेती-किसानी से जुड़े हर कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 2022 तक किसानों की इनकम डबल करने की बात करते हैं. अपने इस एजेंडे को पूरा करने के लिए उन्होंने अप्रैल 2016 में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था ताकि किसानों की आय (Farmers Income) को दोगुना करने से संबंधित पहलुओं की जांच की जा सके.
समिति ने सितंबर 2018 में सरकार को अपनी रिपोर्ट दे दी. इसीलिए सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 2015-16 को ही आधार वर्ष बनाया. लेकिन आधार वर्ष से अब तक कितनी आय बढ़ी, सरकार के पास इसका जवाब नहीं है.
सांसद दुष्यंत सिंह ने पूछा है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कितने फीसदी वार्षिक वृद्धि की जरूरत है. क्या वर्तमान वृद्धि से इसे पूरा किया जा सकता है? जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2015-16 की आधार आय के साथ 2018-19 और 2019-20 के दौरान किसानों की आय की तुलना करने के लिए हाल के दिनों में कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है. जब सर्वे होगा तब आय का अनुमान लगेगा. सरकार के प्रयास कृषि के विकास और किसानों की आय पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं. हम 2022 तक आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल कर लेंगे.
बता दें, 2013 में आई एनएसएसओ (NSSO) की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर सरकार किसानों की मासिक आय 6,426 रुपये (सालाना 77,112) ही बताती आई थी. लेकिन, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति संबंधी रिपोर्ट पेश करने वाली डबलिंग फार्मर्स इनकम (DFI) कमेटी ने 2016 में वार्षिक आय का अनुमान 96,703 रुपये लगाया. यही इनकम डबल करने का आधार वर्ष है और आय भी. अब तक कोई नया सर्वे नहीं हुआ है इसलिए इसे ही किसानों की मौजूदा आय माना जाएगा. यानी किसान की आय देश की प्रति व्यक्ति आय (1.35 लाख) से काफी कम है.
लोकसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा था. बीजेपी ने किसानों की आय दोगुनी करने की खूब मार्केटिंग भी की लेकिन अब सरकार इस पर साफ-साफ जवाब नहीं दे पा रही.