दिल्ली में पहली बार संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 5000 के पार, क्या कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है!
दिल्ली में कोरोना के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,70,014 हो चुकी है. बुधवार को कोरोना संक्रमण के चलते 40 मरीजों ने दम तोड़ दिया. दिल्ली में अब तक कोरोना से कुल 6396 मरीजों की मौत हो चुकी है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार धीमी होती नज़र आ रही है. लेकिन दिल्ली में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में जबदरदस्त उछाल जारी है. कोरोना काल में बुधवार को यह पहला मौका था, जब राजधानी दिल्ली में एक ही दिन में संक्रमण के 5 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आए हैं. राजधानी में संक्रमण के मामलों में आई तेज़ी को देख कोरोनी की तीसरी लहर का अनुमान लगाया जा रहा है. इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को सामने आए कोरोना के रिकॉर्ड केस से तीसरी लहर का अनुमान लगाना सही नहीं हैं.
सत्येंद्र जैन का कहना है कि एक दिन के आंकड़े से दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर का संकेत नहीं माना जा सकता है. उन्होंने कहा, "यह कहना बेहद जल्दबाजी होगी कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है. हमें एक सप्ताह और इंतजार करना चाहिए, लेकिन हो सकता है कि हम इस फेज में ही हो."
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में बुधवार को 5,673 नए मामले सामने आए. इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना से कुल संक्रमितों की तादाद 3.7 लाख के पार हो चुकी है. एक दिन में नए कोरोना केस का आंकड़ा पांच हजार पार करने का यह पहला मामला है. इसे लेकर आशंका जताई जाने लगी है कि पहला पीक जून में आया था और दूसरा सितंबर में अब फिर से अचानक आई उछाल कहीं कोरोनी की तीसरी लहर का संकेत तो नहीं है.

बुधवार को दिल्ली में पहली बार 5000 मामलों का आंकड़ा पार होते देखते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा कि अब कोरोना से लड़ाई का तरीका बदला है. अब हमने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को और तेज कर दिया है. जांच की संख्या भी बढ़ा दी गई है. नए प्लान के तहत जो भी पॉजिटिव केस आता है, तो उसके नजदीक के संपर्क वाले सभी लोगों का टेस्ट किया जा रहा है. फिर चाहें उन लोगों में लक्षण हों या न हों. कभी- कभी दो-दो बार टेस्ट किए जा रहे हैं.
दिल्ली में कोरोना केस की बढ़ती संख्या के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं जिनमें प्रदेश सरकार की तरफ से टेस्टिंग में तेजी लाने, त्योहारी सीजन में भीड़ जुटने, नियमों को लेकर लोगों की लापरवाही और मौसम में बदलाव आदि प्रमुख हैं. एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, "मुझे लगता है कि इसके लिए तीन कारक जिम्मेदार हैं- 'बदलता मौसम, कोविड की रोकथाम के नियमों के प्रति लोगों की लापरवाही और शायद प्रदूषण. अगर इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो दिल्ली का हेल्थ सिस्टम चरमरा जाएगा."
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