हिंदी
English
தமிழ்
മലയാളം
भारत vs ऑस्ट्रेलिया
लाइव
ख़बरें
कोरोनावायरस
वीडियो & ऑडियो
नज़रिया
हमारे बारे में
लॉग इन
सर्च
SHARE
स्वास्थ्य

Coronavirus: "मैं कोरोनावायरस से ऐसे बचा, शुक्र है मैंने किसी को इंफेक्ट नहीं किया"

By वर्तिका • 16/04/2020 at 5:48PM

जानें क्या होता है जब किसी को कोरोनावायरस होता है? कोरोनावायरस के लक्षण दिखना शुरू होने से लेकर ठीक होकर घर लौटने तक की पूरी कहानी जर्मनी में रह रहे भारतीय की जुबानी.

जर्मनी के म्यूनिख मे करीब सात साल से रह रहे प्रोजेक्ट इंजीनियर सुधीर बोरा हाल ही में कोरोनावायरस से ठीक हुए हैं. 

वह कहते हैं " कोरोनावायरस होने पर मुझे लगा मेरे शरीर की पूरी एनर्जी ड्रेन हो गई है, बिस्तर से उठने की हिम्मत नहीं होती है. बुखार बहुत अधिक नहीं था, नॉर्मल टेंपरेचर से 1-2 ड्रिग्री ही अधिक टेंपरेचर था, पैरासिटामोल खाने पर बुखार उतरता था और फिर दो-तीन घंटे में लौट आता था. खांसी इतनी भयंकर आती थी कि एक बार मैं खांसते-खांसते हॉल में गिर पड़ा. मुझे तीन दिन तक ऑक्सीजन दी गई." 

आंध्र प्रदेश के सुधीर बोरा दुनिया के उन 5,15,00 लोगों में से एक हैं जो कोरोना से ठीक हुए हैं. दुनिया भर में अब तक 20,84,000 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं और 1,34,669 लोग मारे गए हैं. लगभग तीन महीने पुराने कोरोनावायरस की अब तक कोई वैेक्सीन नहीं है और इसके इलाज पर दुनिया भर में रिसर्च चल रही हैं  

देखें ये वीडियो:- 
 

कैसे हुआ कोरोना?

सुधीर कहते हैं, "मुझे नहीं पता कि मुझे कैसे कोरोनावायरस हुआ. मैं मैट्रो से ऑफिस जाता हूं. 17 मार्च से हमारा वर्क फ्रॉम होम शुरू हो रहा था.  16 मार्च को ऑफिस से मॉनिटर लेने के लिए हम ऑफिस गए थे. वहां मेरे बॉस को बुखार था. मेरे साथ काम करने वाले व्यक्ति को भी खांसी हो रही थी. कुछ कह नहीं सकते कि किस वजह से कोरोना हुआ, शायद मैट्रो से या बॉस से या मेरे साथ करने वालों से, किसी को प्वाइंटआउट नहीं कर सकते हैं. वापस आने के बाद 16 तारीख की रात को ही मुझे बुखार शुरू हो गया.

आगे वह बताते हैं, "मुझे लगा सोने के बाद मैं ठीक हो जाउंगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पैरासिटामोल केवल दो -तीन घंटे के लिए काम करता था लेकिन फिर हालत खराब हो जाती थी. जब बुखार उतरता था तब मैं पूरी एनर्जी से घर बात करता था. मुझे लगता था कि दो-तीन दिन में बुखार ठीक हो जाएगा इसलिए मैंने आंध्रप्रदेश में अपने घर पर नहीं बताया.  लेकिन पांचवे दिन खांसी आने लगी.  और खांसी इतनी भयंकर आती थी कि एक बार मैं खांसते-खांसते हॉल में गिर पड़ा."

अकेले रहने वाले लोगों के लिए कोरोनावायरस की बीमारी से गुजरना क्या संभव है, यह पूछने पर सुधीर कहते हैं, "अगर कोई अकेले रहता है और उसे कोरोनावायरस  हो जाए तो उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी. मैं खुशकिस्मत हूं कि मैं अपने दोस्तों के साथ रहता हूं. इस दौरान मेरे दोस्तों ने मेरे लिए खाना बनाया मेरे लिए दवाई लाए और मेरा ख्याल रखा. कोरोनावायरस में शरीर इतना कमजोर हो जाता है तो अकेले संभालना संभव नहीं होता."

क्या कोरोना के लक्षण आने पर आप डॉक्टर और अस्पताल कब पहुंचे? इसका जवाब देते हुए सुधीर कहते हैं कि जर्मनी में कोरोना के लिए एक हॉटलाइन है.  बुखार आने के तीसरे दिन मैंने वहां कॉल किया और बताया कि मुझे बुखार और कमजोरी है. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आपको खांसी है? तब तक मुझे खांसी नहीं थी.

दो कैटेगरी के लोगों को प्रायोरिटी 

जर्मनी में कोरोना का चेकअप करता हैल्थ वर्कर
जर्मनी में कोरोना का चेकअप करता हैल्थ वर्कर

सुधीर को हॉटलाइन पर दूसरी तरफ से बताय गया कि फिलहाल दो कैटेगरी वाले लोगों को कोरोना टेस्ट में प्रयोरिटी दी जा रही है. सुधीर ने बताया कि पहली कैटेगरी उन लोगों की है जिनके कोई दोस्त या रिश्तेदार कोरोनावायरस का शिकार हुए हैं, दूसरी कैटेगरी में जर्मनी में कुछ रिस्की प्लेस आईडेंटिफाई किए गए हैं, अगर आप इन जगहों पर गए थे या आप इटली या चीन से आए हैं तो आपका तुरंत टेस्ट होगा. उन्होंने कहा कि हम पहले इन दोनों कैटेगरी के लोगों को टेस्ट कर रहे हैं, बाद में बाकी लोगों को टेस्ट किया जाएगा. मुझे पहले फैमली डॉक्टर से सलाह लेने को कहा. 

जब मुझे पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं...

सुधीर ने बताया कि मुझे हॉस्पिटल जाने के बाद पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं. इससे पहले फैमली डॉक्टर फोन पर मुझे सलाह देता रहा और मुझे एंटीबायोटिक्स और अस्थमा के मरीजों को दिए जाने वाला इनहेलर पंप दिया और कहा कि इससे आपको राहत मिलेगी. लेकिन मुझे राहत नहीं मिली. सांस पूरा नहीं आ रहा था. फैमिली डॉक्टर ने फोन पर अपनी सांस नापने को कहा, एक मिनट में 27 बार ही सांस आ रही थी. इसके बाद उन्होंने कहा कि आप यंग हो, शायद आपकी एंटीबॉडीज़ बन जाएं. लेकिन फिर जब नवें दिन मेरी हालात खराब होने लगी तो मुझे अस्पताल भेजा गया. 

वह कहते हैं कि एंबुलेंस में बैठने से पहले मुझे एक मास्क दिया गया जो अगले पंद्रह दिन मेरे साथ रहा. अस्पताल पहुंचने पर कुछ ब्लड टेस्ट हुए और कई जांच हुईं. फिर मुझे अटेच बाथरूम वाला एक सिंगल रूम दिया गया. वहां एंटीबायोटिक्स की दिन में तीन से चार ड्रिप दी जा रही थीं. क्योंकि मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी इसलिए मुझे तीन दिन तक ऑक्सीजन भी दिया गया.

सुधीर ने बताया कि अस्पताल में दूसरे दिन उनका स्वैब टैस्ट हुआ कोरोनावायरस के लिए. वह कहते हैं कि टेस्ट के अगले दिन मुझे पता चला कि मुझे कोरोना है. डॉक्टर्स वहां पर PPE पहन कर आते थे और जब वो दरवाजे के बाहर पहुंचते तो दरवाज़ा खटखटाते, उनके कमरे में आने से पहले मुझे भी मास्क पहनना होता था. 

कोरोना पॉजिटिव आने पर दिमाग में क्या चल रहा था?

कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव?
कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव?

यह पूछने पर सुधीर कहते हैं. "सबसे पहले यही चल रहा था कि मेरी फैमली को ना पता चले वर्ना वो परेशान हो जाएंगे. और यहां पर लॉकडाउन है वो आ भी नहीं पाएंगे. मुझमें इतनी शक्ति ही नहीं बची थी बाक़ी मैं कुछ सोच सकूं. दवाईयों के असर से काफी नींद आती थी और खांसी से बचने के लिए मैं सारा दिन सोता रहता था. हिलने-डुलने और करवट बदलने पर भी खांसी आ रही थी. 

वह कहते हैं, "मैंने अस्पताल जाने से पहले पढ़ा था कि 60 साल के अधिक के लोगों को कोरोना से अधिक खतरा रहता है और 20-30 साल के  लोगों को जान का खतरा कम होता है, और फिर मुझे कोई क्रॉनिक बीमारी भी नहीं है, यही सोचकर अपने को समझा रहा था. पहले भी मुझे चिकन पॉक्स हुआ था और  जर्मनी में दस दिन के लिए मुझे आईसोलेशन वॉर्ड में रहना पड़ा था. शायद उसी एक्सपीरिएंस ने कुछ साथ दिया."

फैमली को आखिरकार कैसे पता चला फिर कि आपको कोरोनावायरस है? यह पूछने पर सुधीर बताते हैं, " पिछले दिनों से मैं वाइस कॉल से ही काम चला रहा था लेकिन फैमली वाले वीडियोकॉल की जिद करने लगे. मम्मी-पापा से बात करते हुए मुझे बहुत जोरों से फिर से खांसी आ गई और वो फिर रुकी ही नहीं. फिर उन्हें शक हो गया कि मुझे कुछ तो हुआ है और मुझे बताना पड़ा कि मैं अस्पताल में हूं. 

कोरोना से जूझता जर्मनी का मेडिकल स्टाफ
कोरोना से जूझता जर्मनी का मेडिकल स्टाफ

जब फैमली को पता चला मुझे कोरोनावायरस है...

सुधीर ने बताया कि लगातार मुझे सलाइन चढ़ रहा था तीन दिन के बाद मेरी थोड़ी-थोड़ी एनर्जी वापस आने लगी. छठे दिन डॉक्टर मेरे कमरे में आए थे सुबह और उन्होंने कहा कि हम आपका एक टेस्ट करेंगे अगर वो ठीक रहा तो सही नहीं तो कुछ और दिन आपको यहां रहना पड़ेगा. लेकिन रिपोर्ट्स शायद मेरी ठीक आईं और मुझे कहा गया कि अब आप घऱ जा सकते हो. फिर छ दिन बाद मुझे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. लेकिन मुझे अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद भी 14 दिन तक क्वारेंटीन में रहना था. 

सुधीर बताते हैं कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मुझे एक भी दवाई नहीं दी गई. उन्होंने बताया कि कई मुझे अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग से फोन आया मेरी हालत पूछने के लिए और कहा गया कि लॉकडाउन का पालन कीजिए, बार -बार हैंड वॉश कीजिए और अगर आपको फिर से कोई सिमटम आए तो तुरंत बताइए. 

सुधीर चेहरे पर आत्मविश्वास लिए कहते हैं, "मैं अस्पताल से वापस आने के बाद मैं 14 दिन क्वारेंटीन में अपने रूम में ही रहा. मेरे दोस्तों का भी टेस्ट हुआ. उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है. ऑफिस में भी कोई कोरना इंफेक्टिड नहीं हुआ. शुक्र  है मैंने किसी को कोरोना से इंफेक्टेड नहीं किया"

कोरोनावायरस
ताज़ा
स्वास्थ्य

ഏഷ്യാവിൽ വാർത്തകൾ ടെലഗ്രാമിൽ ലഭിക്കാൻ ഇവിടെ ക്ലിക്ക് ചെയ്യാം

Follow us on:

Related Stories

कोरोनावायरस

कोरोना: कार्तिक आर्यन ने दिए 1 करोड़ कहा, जनता से कमाया जनता को लौटा रहा हूं

कोरोनावायरस

Lockdown Diaries: तापसी पन्नू ने बताई अपनी पसंद-नापसंद

कोरोनावायरस

Coronavirus:ये दवा कर रही है डॉक्टर्स का बचाव! केवल हैल्थकेयर वर्कर कर सकते हैं इस्तेमाल

कोरोनावायरस

Corona Crisis: गरीबों की मसीहा बनकर सामने आईं ये भारतीय फैशन डिज़ाइनर, दिए इतने करोड़

Asiaville sites
हिंदी
English
தமிழ்
മലയാളം
फॉलो करें
संपर्क करें
गोपनीयता नीति
नियम और शर्तें