ढाई साल दूर है कोरोना की वैक्सीन, WHO ने कहा- भारत और ब्राज़ील बरतें अतिरिक्त सावधानी
डेक्सामेथासोन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा कि इसका उपयोग केवल क्लिनिकल सुपरविजन में कोरोनावायरस के गंभीर रोगियों के ऊपर ही किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि यह दवा हल्के रोगियों को कोरोनावायरस से मुक्त कर सकती है, बल्कि इससे नुक़सान हो सकता है.
कोरोनावायरस ने दुनिया भर में आतंक मचा रखा है. मामले में दिन ब दिन बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और धीरे-धीरे अब ये एक करोड़ के आंकड़े को छूने की तरफ़ बढ़ रहा है. 90 लाख से ज़्यादा लोग दुनिया भर में संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन अब तक वैक्सीन को लेकर कोई बड़ी क़ामयाबी हाथ नहीं लगी है. हालांकि दुनिया के कई मुल्कों में वैक्सीन बनाने पर काम जारी है, फिर भी माना जा रहा है कि इसमें महीनों लग सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीच चेतावनी दी है कि अगर इस साल कोविड-19 की वैक्सीन बन भी जाती है तो उसे लोगों तक पहुंचने में ढाई साल से ज़्यादा का वक़्त लग सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अभी तक कोई भी ऐसी वैक्सीन नहीं बनी है जिसे कोरोनावायरस वैक्सीन का नाम दिया जा सके. WHO के विशेष दूत डॉ. डेविड नाबारो ने चेतावनी दी है कि दुनिया में सभी तक टीका पहुंचने में ढाई साल से भी ज़्यादा का समय लग सकता है.
ब्रिटिश चिकित्सक ने कहा कि अगर साल के अंत तक टीका आ भी जाता है तो सुरक्षा और प्रभाव जांचने के लिए कुछ समय लगेगा. डेविड के मुताबिक़ देशों को वैक्सीन के उत्पादन का भी इंतजाम करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि बड़ी जनसंख्या वाले देशों में वितरण काफी मुश्किल काम है.
भारत-ब्राज़ील में अतिरिक्त सतर्कता की सलाह
डेविड ने खासकर बड़ी जनसंख्या वाले देशों जैसे भारत-ब्राज़ील को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के लिए कहा है. डेविड ने कहा, “मैं चाहता हूं कि इस आकलन में ग़लत साबित हो जाऊं, लेकिन देश अभी से काफी ढील दे रहे हैं जो ख़तरनाक साबित हो सकता है.”

डेक्सामेथासोन को लेकर भी दी चेतावनी
डेक्सामेथासोन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा कि इसका उपयोग केवल क्लिनिकल सुपरविजन में कोरोनावायरस के गंभीर रोगियों के ऊपर ही किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि यह दवा हल्के रोगियों को कोरोनावायरस से मुक्त कर सकती है, बल्कि इससे नुक़सान हो सकता है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च में इस बात की पुष्टि की है कि डेक्सामेथासोन नाजुक हालत में पहुंचे कोरोना के मरीजों में मौत का ख़तरा 35 फ़ीसदी तक कम करती है. भारत में भी कोरोना मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह दवा सस्ती भी है और आसानी से उपलब्ध भी है.