क्या कोरोना से बचने के लिए खराब या कमजोर मास्क पहनना है ख़तरनाक?
मास्क न पहनने की सूरत में मुंह और नाक में हवा सीधे प्रवेश करती है, लेकिन मास्क पहनने से हवा के प्रवेश करने की रफ्तार धीमी हो जाती है. इससे हवा में सूक्ष्म पार्टिकल और ड्रॉपलेट मास्क की सतह पर फैल जाते हैं. यह निश्तिच रूप से आपकी सेहत के लिए बेहतर होता है.
करीब एक साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है. संक्रमण को कम करने के लिए दुनिया भर की सरकारों ने कई सार्वजनिक उपाय लागू किए हैं. ऐसे दुनियाभर की सरकारों ने लोगों से लगातार सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने की अपील कर रही है ताकि संक्रमण को रोका किया जा सके. कई रिसर्च में भी यह साबित हो गया है कि मास्क के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमण की दर को 45 फीसदी तक कम किया जा सकता है. जब आप मास्क पहनते हैं तो इससे दूसरे सुरक्षित होते हैं. लेकिन क्या आपको यह पता है कि खराब मास्क यानि खराब क्वालिटी का मास्क पहनने से आपकी सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है!
जी हां, अगर आप खराब किस्म का मास्क सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए पहन रहे हैं तो, सोचिए कि आप खुद को जोखिम में डाल रहे हैं. अमेरिकी शोधपत्र फ्लूइड फिज़िक्स (Physics of Fluid) में एक स्टडी प्रकाशित हुई है जिसमें बताया गया है कि खराब क्वालिटी का या कमज़ोर किस्म का मास्क पहनने से आपको किस तरह नुकसान हो सकता है. आइए विस्तार में आपको बताते हैं..
अगर आप यूज़्ड मास्क पहनते हैं तो उसकी फिल्टर करने की क्षमता कम होती है, जिससे आपको ज़्यादा ख़तरा हो सकता है, बजाय मास्क न पहनने के. माइक्रोमीटर के 10 लाखवें हिस्से को माइक्रॉन कहते हैं. 10 माइक्रॉन से बड़े पार्टिकलों से बचाने के लिए मास्क कारगर होना चाहए. इसके साथ ही मास्क पहनने से 10 माइक्रॉन से छोटे पार्टिकलों से भी मुंह और फेफड़ों की सुरक्षा होती है.

तीन लेयरों वाले सर्जिकल मास्क पहनने से होने वाले असर के बारे में किए गए स्टडी में सूक्ष्म पार्टिकलों के फिल्टर की प्रक्रिया को देखा गया. स्टडी में पाया गया कि एक नए सर्जिकल मास्क की क्षमता 65 फीसदी तक होती है. जबकि बार-बार इस्तेमाल करने पर इसकी क्षमता घटकर 25 फीसदी ही रह जाती है. इस स्टडी में यह भी बताया गया कि मास्क पहनने और न पहनने से किस तरह चेहरे के आसपास का एयरफ्लो अलग अलग तरह से होता है.
मास्क न पहनने की सूरत में मुंह और नाक में हवा सीधे प्रवेश करती है, लेकिन मास्क पहनने से हवा के प्रवेश करने की रफ्तार धीमी हो जाती है. इससे हवा में सूक्ष्म पार्टिकल और ड्रॉपलेट मास्क की सतह पर फैल जाते हैं. यह निश्तिच रूप से आपकी सेहत के लिए बेहतर होता है. इस प्रोसेस में मास्क की फिल्टर क्षमता खास बात होती है. अब जानिए स्टडी में किस तरह इस बात को समझाया गया कि खराब मास्क पहनने से क्या असर होता है.
अगर मास्क पुराना है या उसकी फिल्टर क्षमता कम हो चुकी है तो आपको किसी किस्म की सुरक्षा नहीं मिलती. 2 या 3 बार इस्तेमाल करने के बाद अगर सर्जिकल मास्क की क्षमता 30 फीसदी से कम हो जाए तो आपकी सांस में ज़्यादा एयरोसोल जा सकते हैं, जो मास्क न पहनने की सूरत में आपके शरीर में कम प्रवेश करते हैं. यानी इस तरह के मास्क पहनने से अच्छा है कि आप मास्क न ही पहनें.

स्टडी में कहा गया है कि हमारी नाक अपने आप ही एक तरह के फिल्टर जैसा काम करती है. बड़े पार्टिकल नाक के आसपास ही जमा हो जाते हैं और सूक्ष्म पार्टिकल ही फेफड़ों तक पहुंचते हैं. जब आप अच्छी क्वालिटी का मास्क लगाते हैं तो मास्क बड़े पार्टिकलों को रोक लेता है. इससे होता यह है कि नाक का कुदरती फिल्टर कुछ सूक्ष्म पार्टिकलों को रोकने का काम भी कर पाता है. इससे फेफड़ों की सुरक्षा नुकसानदायक सूक्ष्म पार्टिकलों से भी हो जाती है. मास्क में लेयर्स और फोल्ड्स होने से फायदा यह होता है कि ज़्यादा छोटे पार्टिकल इन्हीं में डिपॉज़िट हो जाते हैं.