यॉर्कशर के पूर्व स्टाफ का दावा, इंग्लैंड में नस्लवाद का शिकार हुए थे चेतेश्वर पुजारा
यॉर्कशर के दो पूर्व कर्मचारियों ताज बट और टोनी बाउरी ने क्लब में संस्थागत नस्लवाद के खिलाफ सबूत दिए हैं. उन्होंने कहा कि एशियाई मूल के हर व्यक्ति को वे ‘स्टीव’ बुलाते थे.
काउंटी क्रिकेट की बड़ी टीम यॉर्कशर नस्लवाद के आरोपों में घिरी हुई है और उसकी मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. टीम पर एक बार फिर नस्लवाद के आरोप लग रहे हैं. इसी बीच यॉर्कशर के पूर्व कर्मचारियों ने भी क्रिकेटर अजीम रफीक के दावों का समर्थन कर टीम की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पूर्व कर्मचारियों ने खुलासा किया कि भारत के चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) को भी एशियाई होने और चमड़ी के रंग के कारण ‘स्टीव’ बुलाया जाता था.
वेस्टइंडीज के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी टीनो बेस्ट और पाकिस्तान के राणा नावेद उल हसन ने रफीक के आरोपों के समर्थन में सबूत पेश किए हैं. उनके आरोपों की जांच चल रही है. क्रिकइंफो के मुताबिक यॉर्कशर के दो पूर्व कर्मचारी ताज बट और टोनी बाउरी ने क्लब में संस्थागत नस्लवाद के खिलाफ सबूत दिए हैं.
यॉर्कशर क्रिकेट फाउंडेशन के साथ सामुदायिक विकास अधिकारी के तौर पर काम कर चुके बट ने कहा कि एशियाई समुदाय का जिक्र करते समय बार बार टैक्सी चालकों और रेस्तरां में काम करने वालों का हवाला दिया जाता था. उन्होंने कहा कि एशियाई मूल के हर व्यक्ति को वे ‘स्टीव’ बुलाते थे.
भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को भी स्टीव कहा जाता था, क्योंकि वो उनके नाम का उच्चारण नहीं कर पाते थे. बट ने छह महीने के भीतर ही इस्तीफा दे दिया था. बाउरी 1996 तक कोच के रूप में काम करते रहे और 1996 से 2011 तक यॉर्कशर क्रिकेट बोर्ड में सांस्कृतिक विविधता अधिकारी रहे. बाद में उन्हें अश्वेत समुदायों में खेल के विकास के लिए क्रिकेट विकास प्रबंधक बना दिया गया.
उन्होंने कहा कि कई युवाओं को ड्रेसिंग रूम के माहौल में सामंजस्य बैठाने में दिक्कत हुई, क्योंकि उन पर नस्लवादी टिप्पणियां की जाती थी, इसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा और उन पर परेशानियां खड़ी करनी के आरोप लगाए गए. दो साल पहले यॉर्कशर काउंटी छोड़ने वाले रफीक ने तो यहां तक कहा कि इस कड़वे अनुभव से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या तक करने की सोच ली थी.
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