CORONA VIRUS : गरीबों के पैसे पर लगी है दबंगों की नजर, जान लेने से भी नहीं चूक रहे
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोरोना के संकट को देखते हुए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और आर्थिक मदद के लिए करीब 15 सौ करोड़ रुपये लोगों के खाते में सीधे भेजे हैं. इस पैसे पर है कुछ लोगों की नजर.
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है. वह समाज के कमजोर और असहाय वर्ग के लोगों के खाते में सीधे रकम भेज रही है. लेकिन यह पैसा प्रदेश की कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बनता जा रहा है.

अभी दो दिन पहले ही गोरखपुर से मनरेगा के मजदूरों के पैसे हड़पने की खबर आई थी. जांच में मामला सही पाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने जंगल कौड़िया ब्लॉक के एक प्रधानपति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.
गोण्डा में गोलीबारी
वहीं, गोण्डा जिले में मामला इससे आगे बढ़ गया हैं. वहां के एक गांव में मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी हड़पने को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए. इस दौरान एक पक्ष ने गोलीबारी कर दी. इसमें दो लोगों की मौत हो गई और चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.
यहा मामला जिले के उमरीबेगमगंज थाना क्षेत्र के परास पट्टी मझवार गांव का है. वहां मनरेगा मजदूरों के पैसे हड़पने की शिकायत गांव के ही एक पक्ष ने की थी. इस शिकायत की जांच करने के लिए जिला और ब्लाक स्तर के अधिकारी पहुंचे थे. वह मनरेगा के मजदूरों से इस संबंध में पूछताछ कर ही रहे थे कि दूसरा पक्ष भी वहां आ गया. इनमें से एक पक्ष हथियारों से लैस था. विवाद बढ़ने पर इस पक्ष ने गोलीबारी कर दी. इसमें दो लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई और चार लोग घायल हो गए.

एक घायल को गंभीर हालत में लखनऊ में भर्ती कराया गया है. वहीं तीन का गोण्डा के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है.
सरकार सतर्क
इस घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से पूरा विवरण लिया. बाद में, उन्होंने घोषणा की कि दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी.
प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी मनरेगा और सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के पैसे हड़पने की खबरें आ रही हैं. इसे देखते हुए लगता है कि आने वाले दिन पुलिस और प्रशासन के लिए काफी चुनौती से भरे हुए रहने वाले हैं. उन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ-साथ कल्याणीकारी योजनाओं के पैसे पर नजर लगाए बैठे हुए लोगों से भी निपटन के लिए मशक्कत करनी होगी.
गोण्डा के वरिष्ठ पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी कहते हैं कि गांवों में यह आमप्रथा है कि जो प्रधान जितना दबंग होता है, वह उतना ही अधिक कमीशन मनरेगा के मजदूरों या अन्य सरकारी योजनाओं में लेता है. अब जिस तरह से पैसे योगी सरकार मनरेगा के मजदूरों, दिव्यांगों, विधवाओं और बुजुर्गों के खाते में ट्रांसफर कर रही है, तो उससे लगता है कि आने वाले दिनों में इस तरह की और वारदातें देखने को मिलेंगी.
उन्होंने कहा कि प्रधानों और दबंगों को लग रहा है कि सरकार इन लोगों को पैसा फोकट में दे रही हैं, इसलिए वो इसे आसानी से हड़प सकते हैं.

किसी भी तरह की हेराफेरी को रोकने के लिए ही सरकार इस तरह के पैसों को अब सीध लाभार्थी के बैंक खाते में भेजती है. लेकिन उसके बाद भी प्रधान और दबंग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर खुद ही खाते से पैसे निकलवाते हैं और उसमें अधिकांश पैसा गड़प करके हजम कर जाते हैं.
कल्याणकारी योजनाएं
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले एक हफ्ते में प्रदेश के करब 50 लाख बुजुर्गों के खाते में करीब 499 करोड़ रुपए, 26 लाख से अधिक निराश्रित महिलाओं के खाते में करीब 261 करोड़ रुपये, 10 लाख से अधिक दिव्यांगों के खाते में करीब 107 करोड़ रुपये, 10 हजार कुष्ठ रोगियों के खाते में 5 करोड़ 36 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भेजी है. यह राशि करीब 871.48 करोड़ रुपये होती है. ये रुपये 86.71 लाख लोगों के खाते में सीधे भेजे गए हैं.
इसके अलावा 30 मार्च को योगी सरकार ने साढ़े 26 लाख मनरेगा मजदूरों के खाते में 611 करोड़ रुपये की राशि सीधे भेजी थी. वहीं 24 मार्च को योगी सरकार ने दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी, ठेला, खोमचा लगाने वालों, रिक्शा और ई-रिक्शा चालकों और बोझ उठाने वालों के खाते में 1-1 हजार रुपये भेजे थे.
इस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार समाज के इन कमजोर वर्गों के खाते में करीब 15 सौ करोड़ रुपये डाल चुकी है. अब इसी पैसे पर लोगों की नजर लगी हुई है. हमने प्रशासनिक अधिकारियों से यह जानने की कोशिश की कि वो इस तहर की लूट को कैसे रोकेंगे. और उनकी इसे रोकने की क्या तैयारी है.

इसलिए हमने गोण्डा के जिलाधिकारी डॉक्टर नितिन बंसल को फोन लगाया. इस पर उन्होंने इस तरह की किसी जानकारी के लिए जिले के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) से बात करने को कहा. लेकिन सीडीओ को उनके मोबाइल नंबर XXXXX19046 पर फोन किया गया. लेकिन उन्होंने कॉल का जवाब नहीं दिया.
प्रशासन की तैयारी
गोरखपुर की सीडीओ हर्षिता माथुर ने इस संबंध में 'एशियाविल' से बातचीत की. उन्होंने बताया कि इस तरह की शिकायत जंगल कौड़िया ब्लाक के एक गांव से आई थी. विभागीय जांच में मामला सही पाए जाने के बाद पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दी गई है. उन्होंने बताया कि पिपराइच ब्लॉक से भी लोगों ने शिकायत की. लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि पैसे बांटने के दौरान वहां ज्यादा भीड़ हो गई थी. इस वजह से वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा था. बाद में सोशल डिस्टेंसिंग करावा कर सुचारु रूप से पैसे की वितरण करवाया गया.
इसके अलावा इस संबंध में प्रधानों के खिलाफ इस तरह की शिकायत आ रही है, वहां हम कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिले में कल्याणकारी योजनाओं में जहां आधार नंबर के आधार पर पैसा मिलना है. उसके लिए हम बैंकों के ग्राहक सेवा केंद्रों की मदद ली जा रही है. इन केंद्रों की मैपिंग कराई गई है और उनके प्रतिनिधियों की टीमें बनाई गई हैं. जिले में ऐसे करीब 550 टीमें हैं. 2-3 गांवों में इन कल्याणकारी योजनाओं के पैसे का वितरण कराने का जिम्मा एक टीम को दिया गया. यह काम 2 अप्रैल से शुरू हुआ है. और यह 2 चरण में पूरा होगा.

कल्याणकारी योजनाओं और मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी की बंदरबाट से ही परेशान होकर सरकार ने इन पैसों को खातों में भेजना शुरू कर दिया था और इससे आधार कार्ड को जोड़ दिया था. लेकिन मजदूरों को लूटने वाले उन्हें अलग-अलग तरीके से कभी छल से तो कभी भय से लूटते रहते हैं.