दिल्ली मेट्रो 'Make In India' के तहत देसी सिग्नल टेक्नॉलजी विकसित कर बना आत्मनिर्भर
आई-एटीएस (I-ATS) स्वदेश में विकसित टेक्नॉलजी है, जिसकी सहायता से अब भारतीय मेट्रो ट्रेन की निर्भरता विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर से काफी हद तक कम हो जाएगी.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) ने मंगलवार को कहा कि उसने सरकार की प्रमुख 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत मेट्रो ट्रेनों के लिए स्वदेश निर्मित सिग्नल प्रौद्योगिकी (Indigenous Signalling Technology) के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. डीएमआरसी ने कहा कि इसी के हिस्से के तौर पर आई-एटीएस (सिग्नल प्रणाली की उप प्रणाली) की मंगलवार को शुरुआत की.
DMRC ने एक बयान में कहा, "डीएमआरसी ने 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे के मौके पर स्वदेश निर्मित सीबीटीसी (communications-based train control) आधारित मेट्रो रेल सिग्नल प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है."
DMRC today took a major step towards the development of an indigenously built signalling technology for Metro railway with the launch of the i-ATS (Indigenous - Automatic Train Supervision System), an important sub-system of the CBTC Signalling system. pic.twitter.com/iNnmie1Of1
— Delhi Metro Rail Corporation I कृपया मास्क पहनें???? (@OfficialDMRC) September 15, 2020
आई-एटीएस (I-ATS) एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली है जो कि ट्रेन संचालन का मैनेजमेंट करती है. अधिकारियों ने बताया कि आई-एटीएस स्वदेश में विकसित प्रौद्योगिकी है जिसकी सहायता से अब भारतीय मेट्रो ट्रेन की निर्भरता विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर से काफी हद तक कम हो जाएगी.
इस प्रोटोटाइप सिस्टम के साथ-साथ आगे चलकर सीबीटीसी टेक्नॉलजी के दूसरे सब-सिस्टमों के विकास के लिए स्टेट-ऑफ द आर्ट लैब का मंगलवार को उद्घाटन हुआ. केंद्रीय शहरी शास्त्री पार्क में मंगलवार को विकास मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने इसका उद्घाटन किया. इस मौके पर डीएमआरसी चीफ मंगू सिंह और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
कोरोना वायरस की वजह से कई महीनों से बंद पड़ी दिल्ली की लाइफलाइन मानी जाने वाली दिल्ली मेट्रो 169 दिन के बाद 7 सितंबर से फिर से पटरियों पर दौड़ने लगी है. कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दिल्ली मेट्रो ने हर तरह की तैयारियां की हुई है. स्टेशन के सीमित गेट ही प्रवेश और निकास के लिए खुलेंगे. प्रवेश गेट से लेकर एएफसी गेट, प्लेटफार्म से लेकर कोच के अंदर पर दूरी बनाए रखने के लिए मार्किंग की गई है. पूरी यात्रा को कैशलेस और कांटेक्टलेस बनाने के लिए सिर्फ स्मार्ट कार्ड यात्रियों को सफर की मंजूरी मिल रही है.
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