दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं किसान, रविवार को तय करेंगे आगे की रणनीति
पंजाब-हरियाणा से आए किसान दिल्ली के सिंघु और टिकरी सीमा पर और उत्तर प्रदेश से आए किसान गाजीपुर सीमा पर डटे हुए हैं.
नए बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसान दिल्ली कूच के लिए राजधानी के बॉर्डरों पर डेरा जमाए बैठे हैं. एक तरफ दिल्ली के सिंघु और टिकरी सीमा पर हरियाणा और पंजाब के किसान डटे हुए हैं, वहीं, उत्तर प्रदेश की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में हजारों किसानों ने डेरा डाल रखा है. ये सभी किसान रविवार को यहां से आगे की रणनीति बनाएंगे.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "पंजाब से सात लाख आदमी आए हैं। हम यहीं रहेंगे, सारी सड़कें ब्लॉक कर देंगे। हम 6 महीने का राशन लेकर आए हैं।" #FarmLaws pic.twitter.com/BdO3KtKgA3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2020
इससे पहले दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा जमाए बैठे आंदोलनकारी किसानों से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपील की कि वह आंदोलन खत्म करें, सरकार बातचीत के लिए तैयार है.
कृषि कानूनों के विरोध में किसान प्रदर्शनकारी गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि हम आज दिल्ली कूच करेंगे और जंतर-मंतर या संसद भवन जाएंगे.

सिंघू बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर किसानों का विरोध जारी है. वहां बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. यहां पर किसानों ने शनिवार को फैसला लिया था कि वे यहां अपना विरोध जारी रखेंगे और कहीं और नहीं जाएंगे. यह भी तय किया गया था कि वे रणनीति पर चर्चा करने के लिए रोजाना सुबह 11 बजे मिलेंगे.
किसानों के समर्थन में बुराड़ी के निरंकारी सत्संग मैदान में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. पंजाब में मुख्य विपक्षी दल और दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी किसानों समर्थन में खुलकर सामने आ गई है. बुराड़ी मैदान में दिल्ली सरकार की ओर से सारी व्यवस्था की जा रही है. बुराड़ी से विधायक संजीव झा ने खुद मोर्चा संभाल रखा है. वहीं कांग्रेस के नेता भी अपनी हाजिरी लगा रहे हैं. शनिवार को अलका लांबा भी बुराड़ी सत्संग मैदान पहुंचीं.

पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. उनका कहना है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलाएंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा.
नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली खत्म हो जाएगा. किसानों को अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और आढ़ती भी इस धंधे से बाहर हो जाएंगे.
प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उन्हें आशंका है कि इस कानून के बाद उन्हें बिजली पर सब्सिडी नहीं मिलेगी.