दिल्ली के सिंघु बार्डर पर जमे हुए हैं किसान, अमित शाह के बातचीत के प्रस्ताव पर अभी नहीं लिया है फैसला
पंजाब और हरियाणा से आए किसान सरकार की ओर से सुझाए गए बुराड़ी ग्राउंड जाने के लिए तैयार नहीं हैं. वो जंतर-मंतर या रामलीला मैदान जाना चाहते हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से बनाए गए खेती से जुड़े कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के हजारों किसान दिल्ली की सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. केंद्र सरकार के बातचीत के प्रस्ताव के बाद भी उनका विरोध जारी है. इस समय सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक चल रही है. इसमें केंद्र के प्रस्ताव पर फैसला लिया जाएगा.

इससे पहले किसानों ने कहा था कि वे सिंघु बॉर्डर पर ही अपना विरोध जारी रखेंगे और कहीं नहीं जाएंगे. पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ बातचीत की और उन्हें दिल्ली के बुराड़ी मैदान जाने के लिए कहा. बुराड़ी में किसानों का एक ग्रुप पहले से ही डेरा डाले हुए है.
हर तरफ से मिला समर्थन
उधर, उत्तर प्रदेश के किसान भी रविवार सुबह दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर इकट्ठा हुआ. ये सभी भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले पहुंचे हैं. वे कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए संसद भवन जाने पर अड़े हैं.
पूर्वी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी मंजीत श्योराण ने गाजियाबाद में जुटे किसानों से बात की. डीसीपी ने बताया कि किसानों के साथ बातचीत चल रही है. किसानों से कहा गया है कि हम उन्हें बुराड़ी भेजने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अब तक इस पर फैसला नहीं लिया है. अगर वे तैयार हैं तो हम उन्हें बुराड़ी मैदान तक ले जाएंगे.
किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स तैनात है. शनिवार शाम आंदोलनकारियों ने हाईवे पर तंबू गाड़ना शुरू कर दिया. साथ ही पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों का आना भी जारी रहा.

दिल्ली के नॉर्दर्न रेंज के ज्वाइंट सीपी सुरेंद्र यादव ने बताया कि किसान शांति से बैठे हैं. अब तक सहयोग कर रहे हैं. हमारा मकसद लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना है. साथ ही यह भी तय करना है कि आंदोलन करने वालों को कोई परेशानी न हो.
किसानों पर राजनीति
इस बीच किसानों को रोकने के लिए ताकत के इस्तेमाल पर शिवसेना ने सरकार को आड़े हाथ लिया है. पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि जिस तरह से किसानों को दिल्ली में घुसने से रोका गया है, ऐसा लग रहा है कि जैसे वे इस देश के हैं ही नहीं. उनके साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया है. वे सिख हैं और पंजाब-हरियाणा से आए हैं, इसलिए उन्हें खालिस्तानी कहा जा रहा है. यह किसानों का अपमान है.
जिस तरह से किसानों को दिल्ली में आने से रोका गया है ऐसा लगता है कि वे देश के किसान नहीं बल्कि बाहर के किसान है। उनके साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया गया है। इस तरह का बर्ताव करना देश के किसानों का अपमान करना है: संजय राउत, शिवसेना pic.twitter.com/KyQmvyzDNw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2020
वहीं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को किसानों से अपना विरोध वापस लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कांग्रेस की रची साजिश के अलावा कुछ नहीं है. एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं देश और उत्तर प्रदेश के किसानों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस आपकी भावनाओं के साथ खेल रही है.
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्य ने #किसानों से अपील की है कि वह किसी राजनीतिक दल के बहकावे में न आएं और अपना आंदोलन खत्म कर दें। केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारें उनके हित में हर संभव कदम उठा रही हैं। pic.twitter.com/WoFngG8sxE
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) November 28, 2020
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है. उन्होंने अपील की थी कि किसान दिल्ली के बाहरी इलाके बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन करें. इस पर किसानों ने कहा कि सरकार को खुले दिल के साथ आगे आना चाहिए, न कि शर्तों के साथ.
इस पर भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रेसिडेंट जगजीत सिंह ने कहा कि अमित शाह ने शर्त रखकर जल्द बैठक करने की अपील की है. यह अच्छा नहीं है. उन्हें बिना किसी शर्त के खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए.
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध रामलीला मैदान में होता है. फिर हमें निजी जगह निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहीं रहेंगे.
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