किसान आंदोलन: मांगों पर अड़े किसान, सरकार कर रही संसद के विशेष सत्र पर विचार
सिंधु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों की संख्या हर रोज बढ़ रही है तो यहां फोर्स की तैनाती में भी इजाफा हो रहा है. दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर स्क्वाड, स्पेशल सेल के सीनियर अफसर भी अब ड्यूटी में तैनात किए गए हैं.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 11वें दिन में प्रवेश कर गया है. दिल्ली-हरियाणा पर स्थित सिंघु बॉर्डर पर हजारों किसानों की भीड़ पिछले 10 दिनों से 24 घंटे से दिन रात डटी है. किसानों का प्रदर्शन गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर भी जारी है. इसके अलावा बुराडी ग्राउंड पर भी कुछ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों और सरकार के बीच 5 राउंड की बात हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान मजबूती से अपनी मांगों पर डटे हुए हैं.
किसानों का कहना है कि जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. इसी बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद का सत्र बुला सकती है. बताया जा रहा है कि किसानों के साथ चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार सत्र बुलाने पर विचार कर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस ने वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकार ने सत्र बुलाने का विकल्प खारिज नहीं किया है. किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए संसद के विशेष सत्र बुलाने के सवाल के जवाब में सूत्रों ने कहा कि इसकी संभावना बनी हुई है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. किसान भी सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं.

इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर छोटा शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग की थी. उन्होंने लिखा था कि सत्र में कई जगहों पर जारी किसानों के प्रदर्शनों समेत 'कई अहम मुद्दों' पर चर्चा की जानी चाहिए. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सरकार ने ऐसी किसी संभावना पर विचार नहीं किया है. कोरोना के चलते अभी तक शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं हुआ है.
शनिवार को किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बैठक बेनतीजा समाप्त हुई थी. अब दोनों पक्ष 9 दिसंबर को फिर बातचीत करेंगे. सरकार कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दे रही है, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.
शनिवार को हुई बैठक में सरकार ने सरकारी मंडियों को सशक्त करने, कानून में किसानों के लिए कोर्ट जाने के प्रावधान करने आदि की बात कही थी, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने से कम किसी भी प्रस्ताव पर राजी नहीं है. शनिवार को बैठक के दौरान किसानों ने कड़ा रवैया अपनाये रखा और एक बार तो बैठक से वॉकआउट करने की भी धमकी दी. किसान अपनी मांगों पर सरकार से 'हां' और 'ना' में जवाब मांग रहे थे.

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि MSP जारी रहेगी. अगर किसानों को किसी भी बिंदु पर शंका है तो सरकार उसका समाधान करने के लिए तैयार है. सरकारी मंडियां और मजबूत हो, सरकार इसके लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी मंडियों पर किसानों की गलतफहमी दूर करने के लिए तैयार है. सरकार कुछ और बिंदुओं पर सुझाव चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इसलिए 9 दिसंबर को अगले दौर की बैठक होगी.