जानिए इज़राइल में कैसे सबसे शानदार तरीके से पाली जाती हैं गायें
इज़राइल डेरी बोर्ड के आंकड़ों में मुताबिक 2013 में वहां 1372 मिलियन लीटर दूध प्रोडयूस हुआ था. जो भेड़ और बकरी के दूध की तुलना में ज्यादा था. गाय के दूध से बने प्रोडक्ट्स की सालाना वैल्यू $2.8 बिलियन बताई गई थी. वहां पर गायों की डेरी चलाने वाले मैनेजर्स इस बारे में प्रोफेशनल नॉलेज रखते हैं.
वर्तमान में गाय की सुरक्षा हमारे देश के अहम मुद्दों में से एक बनी हुई है. लेकिन गायों की सुरक्षा, उनके रख-रखाव को लेकर अब तक कोई बेहतरीन प्रबंधन का उदाहरण देखने के लिए नहीं मिला है. आज हम जानते हैं इज़राइल में गायों के प्रबंधन के बारे में, जिसे दुनिया का सबसे बेहतरीन प्रबंध कहा जाता है.
सबसे पहले आपको बता दें कि इज़राइल की गाय दूध उत्पादन के लिए दुनियाभर में जानी जाती है. यहां की गायों का सालभर का दूध का उत्पादन दुनिया की गायों की तुलना से ज्यादा होता है. इज़राइली दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां की गायों से काफी प्रभावित हुए थे.
दूध देने के रोजाना के प्रतिशत पर नज़र डालें तो भारतीय गाय - 7.1, ब्रिटिश गाय - 25.6, अमेरिकी गाय - 32.8, इज़राइली गाय - 38.7 किलोग्राम के हिसाब से दूध देती है. इज़राइल की डेरी फार्मिंग दुनिया भर में मशहूर है. वहां की Herzliya City को इज़राइल की डेरी की राजधानी कहा जाता है.

इज़राइल में पहला मॉडर्न डेरी फार्म मिकवेह इजराइल एग्रीकल्चर स्कूल 1880 में स्थापित हुआ था. वर्तमान में वहां 940 फार्मस में मिल्क प्रोड्यूस किया जा रहा है. वहां की गाय की Holstein ब्रीड सबसे अच्छी मानी जाती है. ये प्रजाती Israeli genetic improvement सिस्टम के तहत डेवलप की गई थी.
इज़राइल डेरी बोर्ड के आंकड़ों में मुताबिक 2013 में वहां 1372 मिलियन लीटर दूध प्रोडयूस हुआ था. जो भेड़ और बकरी के दूध की तुलना में ज्यादा था. गाय के दूध से बने प्रोडक्ट्स की सालाना वैल्यू $2.8 बिलियन बताई गई थी. वहां पर गायों की डेरी चलाने वाले मैनेजर्स इस बारे में प्रोफेशनल नॉलेज रखते हैं. वहां की यूनिवर्सिटी में इससे जुड़ी पढ़ाई के लिए डिग्री भी दी जाती है.

दुनिया भर में इज़राइल की डेरी फार्मस से प्रेरणा ली जा रही है. पिछले सालों में पंजाब की एक टीम को इज़राइल डेरी से ट्रेनिंग के लिए भी भेजा गया था. भारत के अलावा चीन, वियतनाम और कनाडा में भी इज़राइल से प्रभावित होकर डेरी प्रोडक्ट लाए गए.
जनवरी 2018 में खबर आई थी कि हरियाणा के हिसार में सेंटर फॉर एक्सीलेंस में ‘कम्प्यूटर काउ’ मिल्क प्रोडक्शन शुरू करेगी. इसके लिए 2015 में इज़राइल इंटरनेशनल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन एजेंसी मैशाव और हरियाणा सरकार ने हाथ मिलाया था. उस समय कहा गया था कि इज़राइल की होल्सटीन जर्मप्लाज्म नस्ल की गाय का फ्रोजन सीमन हिसार लाकर वहां की लैब में उस नस्ल की गाय को जन्म देने पर काम होगा.
Related Stories
गोवा के मंत्री का दावा- यहां की गायें खा रही हैं मांस, करा रहे हैं इलाज