भारत में जारी किसान आंदोलन के बीच पाक सेना हाई अलर्ट पर, सता रहा इस बात का डर
पाकिस्तानी अखबार का कहना है कि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पंजाब के सिख किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इसे कमजोर करने के लिए और इस प्रदर्शन से खालिस्तान आंदोलन को ऑक्सीजन न मिले इसलिए मोदी सरकार कुछ भी कर सकती है.
भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के लगातार हो रहे किसान प्रदर्शन के बीच पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है. पाकिस्तान ने भारत की सीमा पर तैनात सैनिकों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है. दरअसल पाकिस्तान को एक बार फिर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का डर सता रहा है. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि खुफिया एजेंसियों से संकेत मिले हैं कि दिल्ली में जारी किसान प्रदर्शनों से ध्यान हटाने के लिए भारत फिर कोई दुस्साहस कर सकता है.
अखबार ने सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका से पाकिस्तान ने भारत से लगी सीमा पर सैनिकों को हाई अलर्ट कर दिया है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है, "भारत की हिंदुत्ववादी नरेंद्र मोदी सरकार देश में जारी विरोध-प्रदर्शनों को कमजोर करने के लिए कुछ भी कर सकती है. भारत ये भी नहीं चाहता है कि सिख किसानों के नेतृत्व में हो रहे आंदोलन से खालिस्तानी आंदोलन को हवा मिले."
अखबार ने लिखा है कि कई विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि Loc (लाइन ऑफ कंट्रोल) और भारत-पाकिस्तान वर्किंग बाउंड्री पर पाकिस्तानी सैनिकों को हाई अलर्ट पर कर दिया गया है ताकि भारत के किसी भी दुस्साहस का जवाब दिया जा सके. पाकिस्तान के अखबार जियो न्यूज ने भी ये खबर छापी है.
पाकिस्तान के अखबार जियो न्यूज ने लिखा है कि पाकिस्तान ने भारत के किसी फ्लैग ऑपरेशन या सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका से सेना को अलर्ट पर रखा है. अखबार ने लिखा है कि भारत अपनी आंतरिक और बाहरी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है. अखबार ने लिखा है कि अल्पसंख्यकों, किसान आंदोलन और कश्मीर को लेकर भारत पर बहुत ज्यादा दबाव है. भारत लद्दाख में भी चुनौतियों का सामना कर रहा है.
पाकिस्तान भारत में जारी किसान आंदोलन को लेकर भी बयानबाजी करने में लगा हुआ है. पाकिस्तान के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री फवाद चौधरी ने किसानों के आंदोलन को लेकर ट्वीट किया था, "निर्दयी मोदी सरकार को पंजाब के किसानों की कोई परवाह नहीं है." फवाद चौधरी ने अपने ट्वीट में ना सिर्फ भारत के आंतरिक मसले पर टिप्पणी की बल्कि भारतीय किसानों में फूट डालने की कोशिश भी की. उन्होंने 'गुजराती हिंदुत्व' को दोष देते हुए पंजाबी किसानों के साथ सहानुभूति जताई.
फवाद चौधरी ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा था, "कहीं पर भी हो रहा अन्याय न्याय के लिए ख़तरा है. हमें पंजाबी किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. मोदी सरकार की नीतियां पूरे क्षेत्र के लिए ख़तरा है."
भारत में हो रहे किसानों के प्रदर्शन पर दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों के साथ ही कई देशों के नेताओं ने भी अपने बयान दिए हैं. सबसे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन के समर्थन में बयान दिया था. वहीं ब्रिटेन और अमेरिका के राजनेताओं ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है.
दरअसल मोदी सरकार के नए कृषि कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी मंडियां खत्म हो जाएंगी और उन्हें निजी खरीदारों को औने-पौने दामों मे अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों की संख्या में किसान दिल्ली-हरियाणा से लगे सिंघु बॉर्डर पर पिछले 12 दिनों से डटे हुए हैं.
इस बीच सरकार और किसानों के बीच 5 दौर की बातचीत बेनतीजा होने के बाद मंगलवार को किसान गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे. बुधवार को केंद्र सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेजा जिसे किसानों की बैठक में नामंजूर कर दिया गया. इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों ने आगे की योजना का ऐलान कर दिया.