अगले 30 दिन में भारत में होंगे कम से कम 1.5 लाख और ज़्यादा से ज़्यादा 5 लाख कोरोना पीड़ित - शोध
सरकार 17 मई से लॉक डाउन खोलने की तैयारी कर रही है और उधर एक शोध ने दावा किया है कि अगले 30 दिन में कोरोना वायरस का फैलाव 5 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है. लेकिन इस शोध से दिशा यह मिलती है कि लॉक डाउन को देश व्यापी ना बना
एक तऱफ़ सरकार लॉक डाउन खोलने पर विचार कर रही है और उधर एक नए शोध में दावा किया गया है कि भारत में अगले एक महीने में कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव में तेजी आएगी. यह शोध आईआईटी गुवाहाटी और सिंगापुर मेडिकल स्कूल ने किया है. इस शोध में डाटा साइंस मॉडल और लॉजिस्टिक तरीके से विश्लेषण किया गया है. इसके शोध के मुताबिक अगले 30 दिनों में भारत में डेढ़ से साढ़े पांच लाख तक मामले हो सकते हैं. डाटा साइंस मॉडल से किए गए विश्लेषण के अनुसार यह आंकड़ा 1.30 लाख तक जाता है. वहीं, लॉजिस्टिक तरीके से देश में 5.50 लाख मामले होंने की संभावना है।.
आईआईटी, गुवाहाटी और सिंगापुर के ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने भारत के अलग-अलग राज्यों में 30 दिन में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या का आकलन और विश्लेषण करने के लिए वैकल्पिक मॉडल अपनाया है. टीम की तरफ से विकसित डाटा साइंस मॉडल तीन अलग-अलग मॉडल का संयोजन है. इसका वर्तमान में देश में इस्तेमाल हो रहा है.
इस शोध से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी एक मॉडल पर आधारित रिपोर्ट हमें गुमराह कर सकती है. इस आशंका को खत्म करने के लिए घातांक, लॉजिस्टिक और ससेप्टबल इन्फेक्शस ससेप्टबल (एसआईएस) मॉडल का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा खुले स्रोत के आंकड़ों का इस्तेमाल कर रोजाना संक्रमण दर निकाली जा रही है.
अलग अलग श्रेणियों में बांटे गए राज्य
इस मॉडल में राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है मध्यम, गंभीर और नियंत्रित. यह ग्रीन जोन, ऑरेंज जोन और रेड जोन के वर्गीकरण से अलग है. मॉडल में मामलों का आकलन लॉजिस्टिक्स तरीके और घातांक तरीके (हालात गंभीर होने की स्थिति में आकलन) से किया जाता है. टीम के मुताबिक लॉजिस्टिक तरीके से भारत में अगले 30 दिन में कोविड-19 के डेढ़ लाख मामले होंगे, जबकि घातांक तरीके से मामले साढ़े पांच लाख होंगे.
दो मापदंड पर आधारित
टीम ने बताया है कि किसी एक मॉडल का इस्तेमाल करने के बजाए सभी मॉडल का संयुक्त रूप से विश्लेषण किया है. हाल के समय में सक्रिय मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही हर राज्य के रोजाना संक्रमण दर पर यह रिपोर्ट आधारित है. शोधकर्ताओं के अनुसार पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़ों का एक तरह से विश्लेषण सही तस्वीर पेश नहीं करेगा.
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