भोपाल सेंट्रल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद कहते हैं कि सांप्रदायिक दंगों पर प्रदेश के नेताओं की चुप्पी पर सवाल तो उठेंगे ही. यहां पढिए मध्य प्रदेश के दंगों पर क्या है कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायकों की राय
बीते साल के अंतिम हफ्ते में मध्य प्रदेश के तीन जिलों उज्जैन, इंदौर और मंदसौर में सांप्रदायिक दंगे हुए. तीनों जगह दंगे अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए चंदा जुटाने के लिए हिंदूवादी संगठनों की रैली के दौरान हुए. सबकुछ एक जैसा ही हुआ. लेकिन इन दंगो के बाद जहां सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के बचाव में है तो सूबे की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है. कांग्रेसियों ने अगर विरोध किया भी है तो वह प्रतिकात्मक से ज्यादा नहीं है. यह सब हैरान करने वाला है. वहीं कुछ लोग इन दंगों को अभी केवल शुरूआत भर ही बता रहे हैं.

बीते साल नवंबर में हुए उपचुनाव के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 96 रह गई है. कांग्रेस के इन 96 विधायकों में केवल दो ही मुसलमान हैं. दोनों मुसलमान विधायक राजधानी भोपाल से आते हैं. आरिफ अकील भोपाल नार्थ विधानसभा क्षेत्र और आरिफ मसूद भोपाल सेंट्रल सीट से कांग्रेस के विधायक हैं.
ये दोनों विधायक अपने स्तर से ही इस मसले को उठा रहे हैं. आरिफ अकील ने इस मामले में मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है तो आरिफ मसूद ने कुछ अन्य विधायकों के साथ प्रदेश के मुख्य सचिव से मुलाकात कर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है.
शिवराज से शिकायत
उज्जैन, इंदौर और मंदसौर की हिंसा के सवाल पर आरिफ अकील कहते हैं कि जब प्रदेश का मुखिया ही सांप्रदायिक हो जाए तो क्या बचता है. वो कहते हैं कि पुलिस की मौजूदगी में मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहरा दिया जाता है, यह तो हद है.
अकील कहते हैं कि अगर कोई असमाजिक तत्व अपराध करता है, तो कानून के मुताबिक उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि उसका घर ही तोड़ दिया जाए. वो कहते हैं कि जितना बड़ा अपराध हो, उतनी ही सजा दी जाए.
कांग्रेस विधायक कहते हैं कि ऐसा लग रहा है, जैसे कि मध्य प्रदेश में नया हिटलर पैदा हुआ है. वो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हिटलर की संज्ञा देते हैं. कांग्रेस विधायक का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान इस समय अहंकार में डूबे हुए हैं, वो मस्त हैं, उन्हें किसी की परवाह नहीं है, उन्हें किसी की चिंता नहीं है. अकील कहते हैं कि जो देखरेख करने वाले हैं, वो शिवराज की हां में हां मिला रहे हैं. विधानसभा का सत्र बुला नहीं रहे हैं. अगर बुलाते तो उसमें चर्चा होती. अकील कहते हैं कि शिवराज को लग रहा है कि सत्ता उन्हीं के पास जिंदगी भर रहेगी और किसी और के पास सत्ता आएगी ही नहीं.

जब मैंने उनसे पूछा कि इस मामले में कांग्रेस चुप क्यों है, इस पर उन्होंने कहा कि जहां-जहां घटनाएं हो रही हैं, वहां-वहां हम विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस की चुप्पी के सवाल पर वो मुझसे ही सवाल करने लगे कि अगर कांग्रेस चुप है तो क्या आपकी की जिम्मेदारी नहीं है कि आप इस मसले को उठाएं. इसका विरोध करें.
मध्य प्रदेश का हिटलर
मध्य प्रदेश के नए हिटलर से मुकाबले के सवाल पर अकील ने कहा कि जिस तरह से वो हिटलर नहीं रहा, उसी तरह से यह हिटलर भी नहीं रहेगा.
वहीं कांग्रेस के दूसरे मुस्लिम विधायक अपनी निजी राय देते हुए कहते हैं कि मध्य प्रदेश में दहशत का माहौल बनाया जा रहा है. वो कहते हैं कि जब मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ही आरोपी संगठनों के बचाव में बयान देंगे तो कानून क्या बचेगा.
मसूद कहते हैं कि कोई आपके दरवाजे पर जाकर नारे लगाए और गाली दे, इसके जवाब में अगर आप एक पत्थर फेंक देते हैं तो प्रशासन आपका घर तोड़ देता है और आप पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाती है. इसके बाद मुख्यमंत्री और प्रोटेम स्पीकर कहते हैं कि वो पत्थर फेंकने वालों के घर तोड़ने का कानून ला रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या किसी के घर जाकर उसे गालियां देने की इजाजत आपको कानून ने दे रखी है क्या.

मसूद कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश में योगी आदित्यनाथ बनने के चक्कर में हैं. जब उनसे पूछा कि शिवराज को इससे हासिल क्या होगा, इस सवाल पर वो कहते हैं कि शिवराज को लगता है कि यह सब करने के बाद वो नंबर दो (नंबर एक पर नरेंद्र मोदी) बन जाएंगे.
कांग्रेस की निष्क्रियता के सवाल पर मसूद कहते हैं कि इस तरह के मामले में जब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खुलकर बोलते हैं तो यहां पार्टी की प्रदेश ईकाई को भी खुलकर मुखालफत करनी चाहिए. वो कहते हैं, ''मैंने इस मामले को पार्टी विधायक दल में उठाया था, इसके बाद से सज्जन वर्मा, जयवर्धन सिंह और अन्य के साथ मैंने एक प्रतिनिधिमंडल के रूप में प्रमुख सचिव से मुलाकात की थी. इसके बाद प्रमुख सचिव ने एक कमेटी बनाई है जो इन मामलों की जांच करेगी.'' वो कहते हैं कि नेताओं की निष्क्रियता के सवाल आप पार्टी के नेतृत्व से ही पूछें. मैं तो अपनी बात रख रहा हूं.
कांग्रेस विधायक मसूद का कहना है कि इस मामले में प्रदेश के डीजीपी का रोल बहुत ही खराब है. डीजीपी बहुत असहाय हैं, वो कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. उनको सारे सबूत दिए गए हैं, इसके बाद भी वो कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. वो दबाव में काम कर रहे हैं.

क्या कांग्रेस साफ्ट और हार्ड हिंदुत्व के बीच फंसी हुई है, उसके बड़े नेता चुप क्यों हैं, इस सवाल पर आरिफ मसूद कहते हैं कि यह सवाल भी आप प्रदेश नेतृत्व से ही पूछें. वो कहते हैं कि कांग्रेस विचारों वाली पार्टी है, वह संविधान के दायरे में काम करती है, सबको साथ लेकर चलने की बात करती है. वो कहते हैं कि पार्टी के बड़े नेताओं की चुप्पी पर सवाल तो उठेंगे ही. इसमें कोई दो राय नहीं है.