आतंकवादी हाफिज सईद पर बड़ा खुलासा: जेल में लगा रहा कचहरी, करा रहा सुलह
लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद आतंकवादी हाफिज सईद ने पिछले दिनों कस्टडी में मारे गए एक संदिग्ध के परिजनों की पुलिस के साथ सुलह कराई.
संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी घोषित और मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है. वो लाहौर की कोट लखपत जेल से ही अपने प्रतिबंधित संगठन जमात-उद दावा की गतिविधियां चला रहा है. यही नहीं वो पुलिस और दूसरे आरोपियों के बीच सुलह करा रहा है. पिछले दिनों उसने पुलिस और एटीएम से चोरी करने वाले एक संदिग्ध के परिजनों के बीच सुलह कराने के लिए जेल में ही कहचरी लगाई. इस संदिग्ध की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी.
क्या है मामला
मानसिक रूप से विक्षिप्त सलाहुद्दीन अयूबी की पिछले महीने पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. पुलिस ने उस पर एटीएम से चोरी करने का आरोप था. पुलिस ने उसे इसी आरोप में गिरफ्तार किया था. उसकी मौत के बाद देशभ में प्रदर्शन हुए थे.
मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिद सईद टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद है
हाफिज के पास पहुंचा मामला
सईद 17 जुलाई से कोट लखपत जेल में बंद है. उस पर टेरर फाइनेंसिंग का आरोप है. एक सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को पीटीआई को बताया कि पिछले सप्ताह हाफिज सईद की जेल में मृतक के परिजनों से मुलाकात हुई. मुलाकात के दौरान सईद ने परिवार के सामने तीन विकल्प रखे. पहला ये कि हत्या के लिए परिवार पैसे ले ले. अल्लाह के नाम पर पुलिस वालों को माफ कर दे या फिर कानूनी लड़ाई लड़े. हाफिज सईद के दखल के बाद परिवार ने अल्लाह के नाम पर पुलिस वालों को माफ कर दिया.
इसके बदले परिजनों की कुछ मांगें भी मांगी गई. इनमें मृतक के गांव तक सड़क बनाना और गांव तक गैस पाइपलाइन पहुंचाना शामिल है. इस पर 80 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का खर्च आएगा. पंजाब की राजधानी लाहौर से मृतक का गांव करीब 80 किलोमीटर दूर है. गांव में एक स्कूल बनाने पर भी सहमति बनी है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस बैठक के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर ने गांव का दौरा भी किया और ये सुविधाएं जल्द से जल्द मुहैया कराने का वादा किया.
इसलिए हाफिज के पास पहुंचा परिवार
अयूबी का परिवार हाफिज सईद का अनुयायी है. इसलिए पुलिस ने परिजनों की हाफिज के साथ विशेष मुलाकात फिक्स कराई ताकि मामले को सुलझाया जा सके. इस मामले में गिरफ्तार एसएचओ, इंस्पेक्टर और कुछ कांस्टेबल फिलहाल अंतरिम बेल पर बाहर हैं. विरोध-प्रदर्शनों के बाद सरकार को शीर्ष पुलिस अधिकारियों को हटाने पर मजबूर होना पड़ा. वहीं लाहौर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने का आदेश दिया है.
सूत्रों के मताबिक पाकिस्तान के इतिहास में शायद ये पहला और अनोखा मामला है जिसमें टेरर फंडिंग का एक संदिग्ध दूसरे संदिग्ध के मामले में सुलह करा रहा है. इसी से पता चलता है कि हाफिज सईद पाकिस्तान में कितना ताकतवर और रसूखदार है.
हाफिज के खिलाफ चल रही जांच
हाफिज के खिलाफ इस तरह कचहरी लगाने का ये पहला मामला नहीं है. 2016 में पंजाब में अपनी कचहरी लगाने के मामले में जमात-उद दावा के खिलाफ जांच शुरू हुई थी. संगठन पर आरोप था कि वो अपने लाहौर मुख्यालय में लोगों के मामले सुलझा रहा है. हालांकि इस मामले में बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई. माना जाता है कि जमात-उद दावा लश्कर-ए-तैयबा का फ्रंट संगठन है. लश्कर ने ही 2008 में मुंबई में हमला किया था. इसमें 166 लोगों की जान चली गई थी. अधिकारियों के मुताबिक जमात-उद दावा के पाकिस्तान में 300 मदरसे और स्कूल, हॉस्पिटल, प्रकाशन हाउस और एंबुलेंस सेवा है. इसलिए साल मार्च में पंजा पुलिस ने कहा था कि सरकार ने हाफिज के 160 मदरसों, 32 स्कूलों, दो कॉलेजों, चार अस्पतालों, 178 एंबुलेंस और 153 दवाखानों को अपने कब्जे में ले लिया है. इसी तरह की कार्रवाई सिंध प्रांत में भी की गई थी.