चीन पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, कई मसलों पर होगी बात
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद विदेश मंत्री की पहली चीन यात्रा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी कर चुके हैं चीन की यात्रा.
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के खात्मे के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर पहली विदेश यात्रा पर चीन की राजधानी बीजिंग पहुंच गए हैं. वो कल चीन के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे. इसके बाद जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच द्विपक्षीय मुलाकात होगी. हालांकि जयशंकर की चीन यात्रा धारा 370 खत्म करने के फैसले से पहले ही तय हो गई थी.
दोनों देशों के विदेश मंत्री सांस्कृतिक आदान-प्रदान और दोनों देशों के नागरिकों के बीच रिश्तों पर होने वाली बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे. पहली बैठक पिछले साल दिल्ली में हुई थी. माना जा रहा है कि बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस साल होने वाले भारत दौरे की रुपरेखा पर भी चर्चा होगी. इस दौरान चार सहमति पत्रों पर भी हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी ने पिछले साल वुहान में जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक की थी. ये बैठक 2017 में डोकलाम में दोनों देशों के बीच 73 दिन के सैन्य गतिरोध के बाद हुई थी. ऐसी ही एक बैठक इस बार भारत में आयोजित होनी है.
हालांकि इस दौरान सबकी नजरें भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच होगी. जयशंकर की यात्रा से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी बीजिंग में थे. वहां उन्होंने वांग यी से मुलाकात की थी. कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने के लिए चीन की मदद मांगी.
कुरैशी के साथ बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया. इसमें भारत और पाकिस्तान को चीन ने मित्र पड़ोसी देश बताया. बयान में उम्मीद जताई गई कि दोनों देश अपने विवादों को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों (शिमला समझौता) के तहत सुलझाएंगे. हालांकि बयान में इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई कि धारा 370 के मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने के पाकिस्तान के फैसले पर चीन का क्या रुख है.
धारा 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने पर चीन ने दो बयान जारी किए थे. एक बयान में चीन ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के फैसले पर आपत्ति जताई थी. चीन का दावा है कि इससे उसकी क्षेत्रीय अखंडता पर असर पड़ता है. चीन ने क्षेत्र में मौजूदा स्थिति पर गंभीर चिंता जताई थी और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी.
इसके बाद भारत ने भी बयान जारी कर कहा था कि वो दूसरों के अंदरुनी मामले में दखल नहीं देता है और दूसरे दशों से भी यही उम्मीद करता है. लद्दाख पर चीन के बयान पर भारत ने कहा था कि दोनों देश राजनीतिक आधार पर सीमा मसले का उचित और एक-दूसरे को मान्य हल खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ऐसा हल खोजे जाने तक दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने का फैसला किया है.
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