लॉकडाउन 4.0: इस तरह बनेंगे रेड, ऑरेंज, ग्रीन, कंटेनमेंट और बफर ज़ोन
गृह मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 मरीजों की संख्या के हिसाब से सरकार की ओर से तय रेड, ऑरेंज, ग्रीन ज़ोन की लिस्ट अब राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश तैयार करेंगे. इन्हें अब इस बाबत फैसला लेने का अधिकार होगा.
करीब दो महीने से ठप्प पड़े देश को खोलने की प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है. लॉकडाउन के चौथे चरण के लिए केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की है. इस गाइडलाइंस की सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें बहुत सी चीजों को खोलने की छूट दी गई है. कोरोना संकट के बीच देश को एक नई रफ्तार देने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए हैं. लेकिन इस बार कोरोनावायरस को लेकर देश में 5 ज़ोन बनाने का फैसला लिया गया है. इनमें रेड जोन, ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन के अलावा बफर ज़ोन और कंटेनमेंट ज़ोन शामिल हैं. रेड जोन, ग्रीन और ऑरेंज जोन को लेकर फैसला राज्य सरकारें लेंगी.
स्वास्थ्य सचिव ने इस संदर्भ में राज्यों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी पत्र के मुताबिक राज्य जिला/नगर निगम को रेड/ऑरेंज/ग्रीन ज़ोन के आधार पर बांटेंगे. राज्य मामलों के आधार पर सब डिविजन, वॉर्ड और प्रशासनिक इकाई के आधार पर बांटकर ज़ोन के आधार पर बंटवारा कर सकते हैं.
केंद्र की ओर से बताया गया है कि वर्गीकरण का फैसला करते हुए राज्यों को दिए गए पैरामीटर पर भी ध्यान देना होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस पैरामीटर को लेकर समय-समय पर जानकारी दी जाएगी.
राज्यों को दिए गए हैं ये पैरामीटर
केंद्र की ओर से बताया गया है कि गंभीर मामलों में कोरोना वायरस कुल एक्टिव केस की संख्या 200 इसे शून्य या 21 दिन में शून्य केस करना है, गंभीर परिस्थिति में प्रति लाख की जनसंख्या पर 15 केस है जबकि इसे 0 करने का लक्ष्य है. इसके अलावा 7 दिन मामलों के दोगुने होने की प्रक्रिया गंभीर अवस्था में 14 दिन होगी जिसे बढ़ाकर 28 दिन करना है.
कोरोना संक्रमण की मृत्यु दर गंभीर हालत में 6 प्रतिशत होगी जो कि 1 प्रतिशत करने का लक्ष्य है. प्रति लाख लोगों पर टेस्टिंग का अनुपात गंभीर अवस्था में 65 है जिसे 200 करना है. टेस्ट किए गए सैंपल में से गंभीर अवस्था में 6 प्रतिशत मामलों की पुष्टि की दर होगी जिसे कि 2 प्रतिशत किया जाना है.
केंद्र की ओर से बताया गया है कि सबसे जरूरी काम यह है कि एक बार ज़ोन का बंटवारा होने पर कंटेनमेंट प्लान ऑफ एक्शन के आधार पर सभी निर्देशों को जमीनी स्तर पर लागू किया जाए जिसके संदर्भ में पहले गाइडलाइंस दी जा चुकी हैं.
इस आधार पर निर्धारित होंगे कंटेनमेंट ज़ोन...
-केसों और संपर्कों की मैपिंग
-केसों और उनके संपर्कों को भौगोलिक रूप से अलग करना
-क्षेत्र को निर्धारित कर उसकी सीमा तय करना
कंटेनमेंट ज़ोन के नियम..
-साफ एंट्री और एग्जिट प्वाइंट बनाए जाएंगे.
-स्वास्थ्य इमरजेंसी और जरूरी सामानों की आपूर्ति के अलावा किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं होगी.
-बिना जांच के बाहर से आने वाले लोगों पर रोक रहेगी.
-इलाके में हुई मौत का ब्यौरा आईडीएसपी के पास दर्ज कराना जरूरी होगा.
कंटेनमेंट ज़ोन में इन कामों पर का कड़ाई से किया जाएगा पालन -
-स्पेशल टीम की मदद से घर-घर जाकर जांच मामलों की खोजबीन की जाएगी.
-सैंपलिंग गाइडलाइंस के मुताबिक सभी केसों की जांच की जाएगी.
-कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाएगी.
-स्थानीय सामाजिक वॉलेंटियर की निगरानी रखने, कॉटैक्ट ट्रेसिंग और खतरों की जानकारी देने के लिए मदद ली जाएगी.
- सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन होगा. हाथ धोने, मास्क पहनने, पर्यावरण को साफ रखने आदि को लेकर निर्देश दिए जाएंगे.
-सभी कंफर्म मामलों को चिकित्सीय सुविधा दी जाएगी.
ऐसा होगा बफर ज़ोन
हर कंटेनमेंट ज़ोन के बाहरी हिस्से को बफर ज़ोन करार दिया जाएगा. इसे स्थानीय प्रशासन और स्थानीय शहरी निकायों द्वारा स्पष्ट करना जरूरी होगा. बफर ज़ोन वह इलाका होगा जहां इस बात का ध्यान रखने की सबसे ज्यादा जरूरत होगी कि कंटेनमेंट ज़ोन से संक्रमण इधर या आस-पास के इलाकों में न फैल सके.
बफर ज़ोन में इन बातों का रखा जाएगा ध्यान...
-ILI/SARI की मॉनीटरिंग करते हुए मामलों पर कड़ी निगरानी की जाएगी.
-सरकारी और निजी हेल्थ फैसिलिटी, स्वास्थकर्मियों (आशा/एएनएम/आंगनवाड़ी और डॉक्टर) की पर्याप्त संख्या को तय किया जाएगा.
-सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को चिकित्सीय रूप से कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की जिला स्तर पर बने कंट्रोल रूम में जानकारी देनी होगी.
-सामाजिक जागरूकता और बचाव के उपायों के बारे में लोगों को बताना होगा.
-मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है.
कंटेनमेंट ऑपरेशन को तब ही सफल माना जाएगा जब 28 दिन में एक भी केस नहीं आएगा. बीमारी को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाईयों को बीमारी के फैलने के आधार पर सख्त किया जा सकता है.