महाराष्ट्र में डेयरी किसानों का प्रदर्शन, कहा- मांगें नहीं मानी तो नेताओं के घरों के बाहर फेंका जाएगा दूध
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार 10 रुपए प्रति लीटर का अनुदान किसानों के खाते में भेजे.
महाराष्ट्र में दूध उत्पादक किसानों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन को आज दूसरे दिन भी जारी रखा है. सोमवार को किसानों ने महाराष्ट्र के अकोला, अहमदनगर समेत पूरे में हज़ारों लीटर दूध सड़क पर फेंक दिया था. मंगलवार को किसानों के इस आंदोलन में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन समेत विभिन्न संगठन भी शामिल हो गए है.
मंगलवार को पूरे राज्य में लाखों लीटर दूध किसानों भगवान का अभिषेक करने के बाद सड़क पर बहा दिया. किसानों ने संकलन केंद्र पर पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए. इस बीच हिंगोल में दूध के टैंकर को आग के हवाले कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने टायर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाई तो वहीं परभणी के औंढ़ा इलाके में ट्रक को जबरन रुकवाकर आंदोलन किया.
सोमवार देर रात आंदोलनकारियों ने राजू शेट्टी के नेतृत्व वाले किसान संगठन 'स्वाभिमानी शेतकारी संगठन' के सदस्यों के साथ मिलकर दूध के टैंकरों को रोका और उन्हें पुणे-बेंगलुरू राजमार्ग पर खाली कर दिया. शेट्टी ने बताया कि वे दूध की खरीद की कीमतों में पांच रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी और इसका लाभ सीधे दूध उत्पादकों के खातों में डाले जाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम दूध के उत्पादकों के लिए 30 रुपये की निर्यात सब्सिडी और दूध उत्पादों पर लगाए गए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को रद्द करने की भी मांग कर रहे हैं."
बता दें, नाराज किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है. किसान नेता अजित नवले ने कहा कि किसानों को दूध का काफी कम दाम मिल रहा है. 20 से 22 रुपए प्रति लीटर दूध के दाम पर किसान दूध बेच रहे हैं. इसलिए सरकार 10 रुपए प्रति लीटर का अनुदान किसानों के खाते में भेजे. साथ ही यह भी मांग की गई कि केंद्र सरकार की तरफ से जो भी पाउडर वाले दूध का आयात किया जा रहा है उसे भी बंद किया जाना चाहिए.
प्रदर्शऩ कर रहे किसानों ने चेतावनी दी है कि मंगलवार की मीटिंग में अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो यह आंदोलन और भी उग्र होगा. अब तक जो दूध सड़क पर फेंका जा रहा था उसे राज नेताओं के घर के बाहर फेंका जाएगा.