धोनी जिस लिहाज़ से बैट बदल रहे हैं और उनके मैनेजर ने इसके पीछे जो वजहें बताई हैं उससे लगता है कि विश्वकप के बाद धोनी के संन्यास लेने की ख़बरों में दम है.
क्रिकेट की दुनिया में कोई भी बल्लेबाज़ जब बैटिंग करने मैदान में उतरता है तो आम तौर पर उनके बल्लों पर प्रायोजक कंपनियों का लोगो लगा रहता है. महेन्द्र सिंह धोनी ने ज़्यादातर वक्त ‘रिबॉक बैट’ से बल्लेबाज़ी करते हुए गुज़ारी है. लेकिन, इस विश्वकप में वो कई अलग-अलग कंपनियों के लोगो वाले बल्ले से बैटिंग करते हुए दिख रहे हैं.
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धोनी के बल्ले की प्रायोजक कंपनी, जिसके साथ धोनी ने करार ख़त्म किया
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ तो एक ही पारी में उन्होंने दो अलग-अलग कंपनियों के लोगो वाले बल्ले से बैटिंग की. बिल्कुल ऐसी ही तस्वीरें बांग्लादेश के ख़िलाफ़ भी देखने को मिलीं. पहले महेन्द्र सिंह धोनी ‘एसजी’ बल्ले से बैटिंग करने उतरे, फिर डेथ ओवर्स में उन्होंने अपना बैट बदल लिया.
ताक़तवर शॉट्स खेलने के लिए जब उनके लिए कुछ बैट्स पहुंचाए गए तो उन्होंने ‘BAS’ का बल्ला चुना. इंग्लैंड और बांग्लादेश, दोनों के ख़िलाफ़ धोनी ने इसी तरह बैटिंग की. यही नहीं, इन दिनों उनके पास तीसरा बल्ला भी भी है और ये बल्ला है ‘एसएस’ कंपनी का.
असल में क्रिकेटरों के बैट्स का इन कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं होता, वो सिर्फ़ इन कंपनियों का लोगो अपने बल्ले पर चिपकाते हैं. आम तौर पर अगर कोई कंपनी किसी स्टार क्रिकेटर के बैट का प्रयोजक है तो उसके ऐवज़ में क्रिकेटरों को 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपए तक दिए जाते हैं.
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लेकिन, धोनी की कहानी अलग है. अंग्रेज़ी अख़बार मुंबई मिरर ने जब धोनी के मैनेजर अरुण पांडेय से बात की तो उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयोजकों को शुक्रिया कहने का उनका अंदाज़ है. उन्होंने धोनी के बारे में कहा, “बड़े दिल का आदमी है. ये सच है कि वो अलग-अलग समय में अलग-अलग बल्लों से बैटिंग कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए वो पैसे नहीं ले रहे. करियर के अलग-अलग स्टेज़ में उनकी मदद करने के लिए वो इन प्रायोजकों का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं.”
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अरुण पांडेय ने आगे कहा, “उन्हें पैसे नहीं चाहिए. उनके पास काफी पैसा है. वो सद्भावनावश ऐसा कर रहे हैं. बीएएस उनके पास शुरू से ही था और एसजी ने भी उन्हें काफ़ी मदद की.”
यही बात इन दोनों कंपनियों के मालिक भी दोहरा रहे हैं. दोनों कंपनियों का मानना है कि धोनी के साथ उनका कोई करार नहीं है. बीएएस बल्ला बनाने वाली कंपनी वैंपायर के मालिक पुष्प कोहली ने याद करते हुए कहा कि धोनी के साथ उनके ताल्लुक़ात काफी पुराने हैं. लेकिन इस वक़्त उनकी कंपनी के साथ उनका कोई करार नहीं है. यही हाल एसएस कंपनी भी मान रही है.
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ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्पार्टन के साथ उनका करार था, लेकिन क़ानूनी पेंच के चलते उन्होंने ये करार तोड़ दिया. माना जाता है कि भुगतान को लेकर कुछ विवाद हुआ था, जिसके बाद धोनी ने ये करार तोड़ा. उसके बाद से उन्होंने बल्लों के लिए किसी भी प्रायोजक को हामी नहीं भरी.
आपको बता दें कि ये कयास अभी ज़ोरों पर है कि धोनी इस विश्वकप के बाद क्रिकेट को अलविदा कह सकते हैं. जिस अंदाज़ में वो अपने प्रायोजकों को सद्भावनावश याद कर रहे हैं और जिस लहज़े में उनके मैनेजर ने बयान दिया उससे इस कयास को और बल मिला है कि शायद धोनी विश्वकप के बाद क्रिकेट ना खेलें.
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