मथुरा : श्रीकृष्ण विराजमान ने याचिका दायर कर ईदगाह मस्जिद की जमीन वापस मांगी
इस याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह को पार्टी बनाया गया है.
मथुरा के श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका जिला कोर्ट में स्वीकार कर ली गई है. यह अपील जिला जज मथुरा साधनी रानी ठाकुर की कोर्ट में 12 अक्तूबर को दायर की गई थी. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह को नोटिस भेजी जाएगी.

मथुरा की सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में श्रीकृष्ण ठाकुरजी विराजमान सहित कई भक्तगणों को वादी बनाते हुए मांग की है कि 12 अक्तूबर 1968 को हुए समझौते और 20 जुलाई 1973 को हुई डिक्री को रद्द किया जाए.
याचिका के जरिए 13.37 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा गया है. इसमें ईदगाह भी शामिल है. वाद में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का अनुरोध किया गया है. यह भी कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को यह समझौता करने का अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन की ओर से दायर वाद में 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया है.
ये वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया था. याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है.

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, तरुणेश कुमार शुक्ल, शिवाजी सिंह, त्रिपुरारी तिवारी वादी हैं. जबकि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है.
अधिवक्ता पिता-पुत्र विष्णु जैन और हरिशंकर जैन की ओर से सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में दायर यह याचिका 57 पेज की है. इसमें उन्होंने अपनी सारी बातें रखी हैं.