पॉडकास्ट सीरीज: 'क्रिकेट के बड़े विवाद' l EP-1 'कनकशन सब्सटीट्यूट'
कनकशन विवाद ऑस्ट्रेलिया की हार के बाद शुरू हुआ. क्योंकि जडेजा की जगह मैदान पर उतरे चहल ने मौके का बखूबी फायदा उठाया. अपने चार ओवर्स में चहल ने सिर्फ 25 रन देकर एरोन फिंच, स्टीव स्मिथ और मैथ्यू वेड के अहम विकेट लिए थे और टीम इंडिया की झोली में जीत डाल दी.
क्या आपने कभी सोचा है कि कोई खिलाड़ी जो क्रिकेट मैच की टीम में शामिल न हो. वो पहली पारी में बाहर बैठकर अपने साथी खिलाड़ियों को देख रहा हो. लेकिन मैच खत्म होने के बाद उसी खिलाड़ी को मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा जा रहा हो. मैं कोई मजाक नहीं कर रही हूं...ये हकीकत है. ये सब कुछ हुआ भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले टी20 मुकाबले में...तीन मैचों की टी20 सीरीज के पहले मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 11 रनों से हरा दिया. ये आंकड़ें तो सामान्य से मैच के लग रहे हैं. लेकिन मैच के दौरान बहुत कुछ रोमांचक हुआ.
इस मैच में रोमांच शुरु होता है टीम इंडिया की पारी के आखिरी ओवरों से...टॉस हारने के बाद भारत की पारी मुश्किल में फंसी हुई थी. 17 ओवर में 114 रनों पर ही भारत के 6 बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे. ऐसा लग रहा था भारतीय पारी सस्ते में ही निपट जाएगी. लेकिन फिर रवींद्र जडेजा फॉर्म में आए और उनके चौको-छक्कों से पूरा स्टेडियम गूंज उठा. अपनी पारी के दौरान हैमस्ट्रिंग के चलते जडेजा लंगड़ाते हुए भी बैंटिंग करते नज़र आए.
फिर पारी के आखिरी ओवर में मिचेल स्टार्क की गेंद जडेजा के हेलमेट पर ज़ोर से लगी. जडेजा ने इसके बाद भी पूरा ओवर खेला. उन्होंने इस ओवर में दो चौके भी लगाए. जडेजा ने 23 गेंदों पर नाबाद 44 रन बनाए और भारत का स्कोर 161 तक पहुंचा दिया. लेकिन जब गेंदबाजी की बारी आई तो जडेजा की जगह मैदान पर युजवेंद्र चहल आए, जो की अभी तक सिर्फ बेंच पर ही बैठे हुए थे. मालूम पड़ा कि कनकशन (Concussion) नियम के चलते जडेजा की जगह अब बाकी का मैच चहल खेलेंगे और साथ में गेंदबाजी भी कर सकेंगे.

आखिर ये कनकशन नियम है क्या?
ICC के नियम (1.2.71) के मुताबिक, अगर किसी खिलाड़ी के सिर पर चोट लगती है तो उसकी जगह उसी की तरह दूसरा खिलाड़ी खेल सकता है. यानि किसी बल्लेबाज को चोट लगती है तो बल्लेबाज ही टीम में शामिल होगा. अगर कोई ऑलराउंडर टीम में आता है तो वो सिर्फ बल्लेबाजी ही कर सकेगा. इसी तरह गेंदबाज के चोटिल होने पर गेंदबाज ही टीम में शामिल हो सकता है. ऐसे में ‘लाइक टू लाइक रिप्लेसमेंट’ का नियम है. इसके लिए मैच रेफरी से अनुमति लेनी होती है. आईसीसी मैच रेफरी यह तय करता है, कि रिप्लेसमेंट वाला खिलाड़ी कौन होगा और उसकी मैदान पर क्या भूमिका होगी. लेकिन इस मैच में तो कुछ अलग ही हुआ था और यहीं से शुरू हो गया कनकशन सब्सीटियूट विवाद.
विवाद ऑस्ट्रेलिया की हार के बाद शुरू हुआ. क्योंकि जडेजा की जगह मैदान पर उतरे चहल ने मौके का बखूबी फायदा उठाया. अपने चार ओवर्स में चहल ने सिर्फ 25 रन देकर एरोन फिंच, स्टीव स्मिथ और मैथ्यू वेड के अहम विकेट लिए थे और टीम इंडिया की झोली में जीत डाल दी.
हार के बाद आस्ट्रेलियाई टीम और कोच कहना था है कि वो रवींद्र जडेजा के कनकशन सब्सीट्यूट से निराश नहीं हैं लेकिन उनका मुख्य मुद्दा यह है कि बदला हुआ खिलाड़ी जडेजा की तरह ही होना चाहिए था यानी एक ऑलराउंडर न कि लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल. चहल के मैदान पर आने से आस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लैंगर और कप्तान एरोन फिंच काफी निराश थे. दूसरी पारी की शुरुआत से पहले मैच रैफरी डेविड बून से बात करते हुए इन दोनों को निराश देखा जा सकता था.
ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर मोइसेस हेंरीक्वेस ने मैच के बाद कहा कि उनकी टीम को कनकशन सब्सीटियूट से परेशानी नहीं है, लेकिन उनका मुद्दा यह है कि ऑलराउंडर जडेजा की जगह चहल सही विकल्प नहीं थे. मैच के बाद मोइसेस हेंरीक्वेस ने कहा, "इसमें कोई भी शक नहीं है कि जडेजा को हेल्मेट पर गेंद लगी थी और उनके सिर में चोट लगी होगी. लेकिन चोट के बाद जो विकल्प लाया गया क्या उनका समान विकल्प था? मेरा ये सवाल है. जडेजा एक ऑल-राउंडर खिलाड़ी हैं और वो अपनी बैटिंग कर चुके थे. जबकि चहल पूरी तरह से गेंदबाज हैं. ICC का नियम ठीक है, कनकशन विकल्प होना चाहिए. लेकिन जो भी खिलाड़ी उसकी जगह ले वो उस जैसा ही होना चाहिए."
इस विवाद के बाद भारत के पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले का कहना था, "रवींद्र जडेजा बल्लेबाजी में अपना योगदान दे चुके थे और वह एक स्पिनर हैं, इसलिए एक स्पिनर (चहल) को जैसे-तैसे रिप्लेसमेंट के रूप में लाया गया. अगर भूमिका की बात है तो जब भारत गेंदबाजी कर रहा था और अगर जडेजा को बल्लेबाजी करनी थी और वह बल्लेबाजी नहीं कर सकता था, तो मुझे यकीन है कि चहल को नहीं लाया जाता. आपने जडेजा की जगह एक बल्लेबाज को देखा होगा. मुझे यकीन है कि चहल को अंतिम 15 में रखा गया था. इसलिए कन्कशन रिप्लेसमेंट को लेकर मुझे कोई समस्या नहीं है."
इस मामले पर पूर्व भारतीय कप्तान सुनिल गावस्कर ने कहा कि मैच रेफरी पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेविड बून हैं. उन्हें जडेजा की जगह चहल के सब्स्टीट्यूट करने से दिक्कत नहीं है. ऐसा कहा जा रहा है कि जैसा खिलाड़ी हो उसकी जगह वैसा ही आना चाहिए. आप इस पर बहस कर सकते हैं कि चहल ऑल-राउंडर नहीं हैं. लेकिन जहां तक मैं समझता हूं जिस किसी ने एक रन भी बनाया है वो ऑल-राउंडर है. और खासतौर पर जब मैच रेफरी को कोई दिक्कत नहीं है तो फिर बाकी लोग क्यों शोर मचा रहे हैं.
माइकल वॉन का तो कहना था कि जडेजा के कनकशन को जांचने के लिए मैदान पर ना तो कोई डॉक्टर आया और ना ही कोई फिज़ियो. उन्हें देखकर लग रहा था कि उनके पैर में कुछ तकलीफ है. लेकिन उन्होंने कनकशन के लिए रिप्लेसमेंट लिया.
माइकल वॉन की ही तरह टॉम मूडी ने इस मसले पर कहा कि मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है कि चहल को जडेजा का सब्स्टीट्यूट बनाया गया. लेकिन मुझे इस बात से दिक्कत है कि जब जडेजा को हेल्मेट पर गेंद लगी तो मैदान पर ना तो कोई डॉक्टर आया और ना ही कोई फिज़ियो.
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मार्क वॉ का कहना है कि ICC को अपने इस नियम पर गौर करना चाहिए और ऐसे मामलों के लिए न्यूट्रल डॉक्टर पर विचार करना चाहिए. वॉ ने इस विवाद के तूल पकड़ने पर कहा कि निश्चित तौर पर भारतीय टीम के डॉक्टर ने यह फैसला लिया. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उन्होंने गलत निर्णय किया है, लेकिन मुझे लगता है कि ICC को एक चिकित्सा अधिकारी या चिकित्सक को नियुक्त करने की जरूरत है जो निष्पक्ष निर्णय ले सके.
गौतम गंभीर ने कहा कि कनकशन नियम से चहल को रिप्लेस करने का निर्णय ऑस्ट्रेलिया के लिए निराशा वाला हो सकता है लेकिन यह सही था. मैच रेफरी को यह फैसला लेना होता है. भारतीय टीम ने रिस्ट स्पिनर को खिलाया और सफलता भी मिली. अगर कोई नियम बनाया गया है, तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाना चाहिए.
लेकिन देखा जाए तो रवींद्र जडेजा की भूमिका दूसरी पारी के दौरान गेंदबाज की थी इसलिए उनकी जगह गेंदबाज के तौर पर युजवेंद्र चहल का मैदान पर उतरना सही विकल्प था. ऐसा नहीं है कि हर मैच में कोई टीम कनकशन नियम का इस्तेमाल करते हुए प्लेइंग इलेवन से बाहर के खिलाड़ी को टीम में शामिल कर सकती है. किसी खिलाड़ी को सिर या गर्दन में चोट लगने के बाद ही कनकशन नियम का इस्तेमाल किया जा सकता है.
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