पॉडकास्ट सीरीज: 'क्रिकेट के बड़े विवाद' l EP-3 l बॉडीलाइन सीरीज़ (1932-33)
2 दिसंबर से शुरू हुए पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने 10 विकेट से जीत हासिल की. जिसमें लारवुड ने अपनी ख़तरनाक गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का पिच पर टिकना मुश्किल कर दिया. इसके बाद दूसरे टेस्ट एडिलेड में तो लारवुड ने ख़तरनाक गेंदबाजी कर ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों की कमर ही तोड़ दी. इंग्लैंड अपनी पूरी प्लानिंग बॉडीलाइन गेंदबाजी के साथ उतरे थे.
खेल में हर कोई जीतना चाहता है. कोई भी जीतने के इरादे से ही उतरता है और जीतने के लिए सबकुछ कर गुजरने को तैयार होता है. ऐसा ही क्रिकेट में भी देखने को मिलता है. जहां से क्रिकेट के इतिहास में हमें सबसे विवादित सीरीज 'बॉडीलाइन' देखने को मिली. एक ऐसी सीरीज जिसमें इंग्लिश टीम की किसी भी हालात में सीरीज जीतने की ललक ने बॉडीलाइन सीरीज को जन्म दिया और ये सीरीज क्रिकेट इतिहास में सबसे विवादित सीरीज में शामिल हो गई.
बता दें कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच आज जिस एशेज सीरीज में दोनों टीमों के बीच कांटे की टक्कर नज़र आती है वो इसी बॉडीलाइन टेस्ट सीरीज के चलते ही हुई है. दोनों देशों के बीच जबरदस्त टक्कर का नजारा 2 दिसंबर 1932 को देखने को मिला था. इसमें इंग्लिश टीम हर हालात में टेस्ट सीरीज जीतने के इरादे से उतरी जिसमें उनके तेज गेंदबाज हेरॉल्ड लारवूड (Harold Larwood) ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के सामने जानलेवा गेंदबाजी की जो सीधे बॉडीलाइन पर आ रही थी. उस सीरीज में इंग्लैंड के गेंदबाजों ने दिखाया कि एक बॉडीलाइन गेंदबाजी क्या होती है.
उस समय एक देश से दूसरे देश जाने के लिए फ्लाइट तो होते नहीं थे, इसलिए पानी के जहाजों में सफर किया जाता था. इंग्लैंड टीम ने अपने देश से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक के सफर में जमकर प्रैक्टिस की थी. इस टूर पर जाने से पहले इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डीन (Douglas Jardine) ने अपने दो शानदार गेंदबाजों को मीटिंग के लिए बुलाया. हेरॉल्ड लारवूड (Harold Larwood) को बुलाकर कहा था कि बल्लेबाज के शरीर पर आक्रमण किया जाए, जिससे वो रन ना बना सके और डर के मारे आउट हो जाए. एडिलेड में मुकाबले में गेंदबाजों ने इसी रणनीति से गेंदबाजी की.

2 दिसंबर से शुरू हुए पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने 10 विकेट से जीत हासिल की. जिसमें लारवुड ने अपनी ख़तरनाक गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का पिच पर टिकना मुश्किल कर दिया. इसके बाद दूसरे टेस्ट एडिलेड में तो लारवुड ने ख़तरनाक गेंदबाजी कर ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों की कमर ही तोड़ दी. इंग्लैंड अपनी पूरी प्लानिंग बॉडीलाइन गेंदबाजी के साथ उतरे थे. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिल वुडफुल को लारवुड ने ख़तरनाक गेंदबाजी से चोटिल कर दिया था. बिल एक बार फिर उठे लेकिन इंग्लिश कप्तान डगलस ने बॉडीलाइन फील्डिंग लगा दी. लगातार बॉडीलाइन गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज को खूब परेशानी हो रही थी.
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को परेशान देख ए़डिलेड में बैठे दर्शकों को गुस्सा आ गया और उन्होंने इंग्लैंड टीम के खिलाफ हुटिंग शुरू कर दी. लारवुड पर दर्शक काफी भड़क गए और बाउंड्री लाइन पर सुरक्षा को देखते हुए सिक्योरिटी गार्ड खड़े किए गए.
लेकिन लारवुड को इसका कोई फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने इस गेंदबाजी को जारी रखा. इसमें ऑस्ट्रेलिया के एक बल्लेबाज की तो लारवुड ने पसलियां ही तोड़ दी और ऑस्ट्रेलिया के दर्शक बहुत ही गुस्सैल हो गए. इसके बाद लारवुड को बहुत कड़ी सुरक्षा के बीच मैदान से बाहर निकाला.

क्रिकेट की बाइबिल कही जाने वाली मैग्जीन Wisden में इस एडिलेड टेस्ट मैच को क्रिकेट इतिहास का सबसे डरावना टेस्ट करार दिया. लारवुड ने 5 मैचों में 33 विकेट हासिल किए थे. जिसमें उन्होंने 20 बल्लेबाजों को जीरो के स्कोर पर चलता किया था. डॉन ब्रैडमैन जैसे महान बल्लेबाज इस टेस्ट सीरीज की 8 पारियों में 4 बार लारवुड का शिकार बने. वहीं 5 मैचों की इस एशेज सीरीज की बात करें तो इंग्लैंड ने 4-1 से अपने नाम कर लिया था.
क्या होती है बॉडीलाइन?
बॉडीलाइन गेंदबाज़ी माने ऐसी बॉलिंग जिसमें बल्लेबाज़ों के शरीर को निशाना बनाकर बॉल डाली जाए. बॉडीलाइन गेंदबाजी को फास्ट लेग थ्योरी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि गेंद को लेग साइड पर शरीर पर फेंका जाता था और लेग की तरफ अधिक फील्डर रखे जाते थे जिसके चलते बैट्समैन खुद को बचाने की कोशिश में कैच दे बैठते थे. इस रणनीति के तहत गेंद को ऐसी दूरी पर फेंका जाता है जिससे वो उछलकर बल्लेबाज के सीने तक आए. इस गेंद को लेग स्टंप की लाइन पर रखा जाता है.
जब गेंदबाज ऐसी गेंदबाजी करने का सोचता है तब लेग साइड पर कैच लपकने के लिए एक खिलाड़ी को तैनात किया जाता है. जैसे ही गेंदबाज बॉल डालता है, बल्लेबाज उस पर असहज होकर बल्ले का किनारा दे बैठता है और विकेट मिल जाता है. ऐसी गेंद ख़तरनाक होती है क्योंकि अगर बल्लेबाज गेंद को बल्ले से खेलने में जरा भी चूकता है तो गेंद उसके शरीर पर जाकर लगती ऐसे में चोट लगने का ख़तरा ज्यादा होता है.
क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
आख़िर बॉडीलाइन गेंदबाजी की जरूरत क्यों पड़ी ? दरअसल साल 1930 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई इंग्लैंड टीम को 2-1 से हार का सामना करना पड़ा था. इस जीत के हीरो रहे थे सर डॉन ब्रैडमैन. इस हार से इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डीन बदले की आग में जल रहे थे. उनका लक्ष्य था किसी भी हाल में एशेज की ट्रॉफी वापस हासिल करना. ऐसे में कप्तान जार्डीन ने ये ख़तरनाक रणनीति इजात की.
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