पॉडकास्ट सीरीज: 'क्रिकेट के बड़े विवाद' l EP-4 l माइक गेटिंग vs शकूर राणा
वैसे तो आम हालात में शायद माइक गेटिंग ने इस बात को अनसुना कर दिया होता लेकिन तब हालात आम कहां थे! पहले मैच का फ्रस्ट्रेशन ज़हन पर सवार था. उन्होंने आपा खो दिया. गैटिंग काफी झल्ला गए और दौड़कर अंपायर राणा की ओर गए और उंगली से इशारा कर धमकी देते हुए बहस करने लगे. दोनों में खूब चिल्ला-चिल्ली हुई. राणा ने बाद में बताया कि जब उन्होंने गेटिंग से कहा कि तुम रूल्स के खिलाफ काम कर रहे हो तो उन्होंने चीखकर कहा, “रूल्स हमने बनाए हैं.”
क्रिकेट के इतिहास में यूं तो कई विवाद होते हैं लेकिन कुछ विवाद ऐसे हैं जो क्रिकेट इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए कैद हो जाते हैं. ऐसा ही एक विवाद अंपायरिंग के साथ जुड़ा है जिसे एक बदनुमा कहानी के तौर पर याद किया जाता है.ऐसी ही एक घटना 1987 में हुई थी, पाकिस्तान के फैसलाबाद में. जब एक खिलाड़ी और अंपायर में बीच मैदान पंगा हो गया और बवाल मैदान से बाहर चला गया.
वैसे तो खिलाड़ियों का अंपायर के निर्णय से असहमत होना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन उस दिन इंग्लैंड के कप्तान माइक गेटिंग (Mike Gatting) और पाकिस्तानी अंपायर शकूर राणा (Shakoor Rana) के बीच जो हुआ, वैसा कुछ क्रिकेट के मैदान पर कम ही देखने को मिला है. यह घटना क्रिकेट के सबसे बड़े विवाद को तौर पर याद की जाती है. जबकि पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट अंपायर शकूर राणा की छवि बहुत ही खराब अंपायरों में की जाती है.
दरअसल 1987 में 8 से लेकर 12 दिसंबर के बीच इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच फैसलाबाद में टेस्ट मैच खेला जा रहा था. पहले टेस्ट में हारने के बाद इंग्लैंड की टीम जी-जान लगाने के इरादे से उतरी थी. इंग्लैंड का मानना था कि पहले टेस्ट में उन्हें मिली हार की एक वजह खराब अंपायरिंग भी थी. पहले से खीजे इंग्लैंड कैप्टन के साथ अंपायर शकूर राणा ने एक और सीन कर दिया.

हुआ कुछ यूं…टेस्ट के दूसरे दिन का खेल ख़त्म होने के कगार पर था. इंग्लैंड स्ट्रॉन्ग पोजिशन में थी. इंग्लैंड के 292 रनों के जवाब में पाकिस्तान 106 रन पर पांच विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी. कप्तान माइक गेटिंग ने ऑफ स्पिनर एडी हेमिंग्स को गेंद सौंपी. बॉलिंग से पहले फील्ड में बदलाव करते वक्त कप्तान गेटिंग ने नियम के मुताबिक नॉन-स्ट्राइकर सलीम मलिक को बता दिया कि वो डेविड केपल को लॉन्ग लेग से आगे बुला रहे हैं. जैसे ही हेमिंग्स गेंद फेंकने आगे बढ़े माइक गेटिंग ने हाथ उठाकर केपल से कहा कि वो रुक जाएं.
टेक्निकली गेटिंग सही थे. उन्होंने बैट्समैन को इन्फॉर्म भी किया था, वो फील्डर को मूव भी नहीं कर रहे थे और बैट्समैन के पीछे की तरफ थे तो डिस्ट्रैक्ट करने का इल्ज़ाम भी नहीं लग सकता था. लेकिन इसके बावजूद तमाम तर्कों के स्क्वेयर लेग पर खड़े अंपायर शकूर राणा संतुष्ट नहीं हुए. शकूर राणा ने यह देखा तो उन्होंने गेंदबाज को गेंद करने से रोकते हुए चिल्लाकर कहा, ‘स्टॉप, स्टॉप'. लेकिन तब तक हेमिंग्स ने गेंद फेंक दिया था. ऐसे में उस गेंद को डेड बॉल करार दिया गया.
इस पर इंग्लिश कप्तान गेटिंग गुस्से में आ गए, उन्होंने राणा से पूछा कि क्या हुआ? राणा ने जवाब दिया- “तुम हाथ हिला रहे थे. ये चीटिंग है.” गेटिंग ने समझाया कि वो सिर्फ फील्डर को रुकने का इशारा कर रहे थे. आगे ये भी कहा कि वो अपनी पोजिशन पर लौट जाएं ताकि खेल आगे बढ़ सके. राणा मुड़े और अपनी जगह चल दिए. लेकिन जाते-जाते वो कह गए जिसने तगड़ा बवाल खड़ा कर दिया. वो ज़ोर से बोले, “यू आर फ** चीट”.

वैसे तो आम हालात में शायद माइक गेटिंग ने इस बात को अनसुना कर दिया होता लेकिन तब हालात आम कहां थे! पहले मैच का फ्रस्ट्रेशन ज़हन पर सवार था. उन्होंने आपा खो दिया. गैटिंग काफी झल्ला गए और दौड़कर अंपायर राणा की ओर गए और उंगली से इशारा कर धमकी देते हुए बहस करने लगे. दोनों में खूब चिल्ला-चिल्ली हुई. राणा ने बाद में बताया कि जब उन्होंने गेटिंग से कहा कि तुम रूल्स के खिलाफ काम कर रहे हो तो उन्होंने चीखकर कहा, “रूल्स हमने बनाए हैं.” बहस को ज्यादा बढ़ता देख इंग्लैंड खिलाड़ियों ने अपने कप्तान को वहां से वापस लाए और बहस को शांत किया.
दिन का खेल ख़त्म हुआ. लेकिन ये मामला यहीं नहीं निपटा. शकूर राणा ने धमकी दी कि वो आगे उस टेस्ट में अंपायरिंग नहीं करेंगे. सबको लगा सुबह तक शांत हो जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जब तीसरे दिन का खेल शुरू हुआ और इंग्लैंड की टीम फील्डिंग के लिए मैदान पर उतरी, तब न अंपायर राणा मैदान पर अंपायरिंग करने आए और न ही पाकिस्तानी बल्लेबाजों का पता था. कोई था तो करीब दो हज़ार दर्शक और पुलिस का दंगा-विरोधी दल. काफी देर इंतजार करने के बाद इंग्लैंड की टीम पवेलियन लौट गई. अगले छह घंटे तक वो वहीं रही. होटल नहीं गई. पूरे दिन कोई खेल नहीं हो पाया.
अंपायर राणा ने मांग की थी कि माइक गेटिंग उनसे लिखित में माफी मांगे. गेटिंग ने दबाव में ये बात तो मान ली लेकिन शर्त लगा दी कि बदले में राणा भी उनसे माफी मांगे. आगे जो हुआ उस बारे में बहुत-सी बाते हैं. कुछ कहते हैं कि दोनों माफी मांगेंगे इस बात पर राणा तो सहमत थे लेकिन गेटिंग नहीं. हालांकि इस बात को शकूर राणा ने आगे एक इंटरव्यू में सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था, “मैं कभी माफी नहीं मांगने वाला था. मैंने कुछ ग़लत नहीं किया था.”

फैसलाबाद और लंदन के बीच टेलीफोनिक बातचीत की फ्रीक्वेंसी बढ़ गई. मामला अटक गया था. दोनों देशों में ये पब्लिकली डिस्कस किया जाने लगा. बैठकें होने लगीं. यहां तक बातें होने लगीं कि इंग्लैंड टीम दौरा आधे में छोड़कर लौट जाएगी. इंग्लैंड बोर्ड के ऑफिसर्स पाकिस्तान पहुंचे. उन्होंने कप्तान माइक गेटिंग को विश्वास दिलाया कि मैनेजमेंट पूरी तरह उनके और टीम के साथ है. लेकिन ढेर सारी बैठकों के बाद ये डिसाइड हुआ कि गेटिंग का माफ़ी मांग लेना ही खेल के हित में है.
अगले दिन यानी मैच के चौथे दिन की सुबह माइक गेटिंग ने शकूर राणा को लिखित माफीनामा सौंपा. उसके बाद ही आगे का खेल शुरू हुआ. गेटिंग इस बात से काफी खफा थे कि उन्हें माफ़ी मांगने पर मजबूर किया गया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वो टीम में बतौर कप्तान और खिलाड़ी बने रहना है या नहीं इस पर सोच रहे हैं. उनके साथी खिलाड़ी भी खुश नहीं थे. हां, अगर कोई खुश था तो अंपायर शकूर राणा.
बाद में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “पाकिस्तान में ऐसे अपमान पर जान ले ली जाती है. वो खुशकिस्मत हैं कि मैंने उन्हें पीटा नहीं. जो हुआ उसका मुझे कोई अफ़सोस नहीं है. क्यों हो? उस घटना ने मुझे इतना फेमस कर दिया. मुझे आज भी गेटिंग के लिखित माफीनामे पर फख्र है. मैं उसे अपने तकिए के नीचे रखता हूं और समय-समय पर पढ़ता रहता हूं.”
माफीनामे के बाद खेल दोबारा शुरू ज़रूर हुआ था लेकिन इंग्लैंड की जीत के चांस घट गए और मैच ड्रॉ रहा. लेकिन इस कड़वाहट के चलते इंग्लैंड की टीम ने अगले 13 सालों तक पाकिस्तान की धरती पर कदम नहीं रखा.
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