पॉडकास्ट सीरीज: 'क्रिकेट के बड़े विवाद' l EP-5 l मैच फिक्सिंग
मोहम्मद अजहरुद्दीन...इस खिलाड़ी की महानता की दास्तान शुरू होती है पहले मैच से... उन्होंने पहले तीन टेस्ट मैचों में एक के बाद एक शतक ठोक दिए. सनसनी मच गई थी. बात 1985 की है. पांच साल बाद 1990 में उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी सौंप दी गई. तीन वर्ल्ड कप में भारत का नेतृत्व करने वाले और एक दौर में टीम को 90 जीत दिलाने वाले, वह सबसे सफल भारतीय वनडे कप्तान कहलाते थे. लेकिन ये सब तबतक था जब तक उनका नाम मैच-फिक्सिंग मामलों में नहीं आया था.
मैच फिक्सिंग क्रिकेट की दुनिया में एक ऐसा ट्रैप है जिसमें फंसकर कई बड़े Cricketers का करियर बर्बाद हो गया है. उसी में एक नाम है मोहम्मद अज़हरुद्दीन (Mohammad Azharuddin) का. अज़हरुद्दीन, भारतीय क्रिकेट टीम के Former Captain. वो आदमी जिसने आते ही टेस्ट क्रिकेट में झंडे गाड़ दिए. पहले तीन टेस्ट मैचों में ताबड़तोड़ तीन सेंचुरी. कलाई से शॉट खेलना फितरत थी. अज़हरुद्दीन की कलाई में जादू था. ऑफ स्टंप की जिस गेंद पर दूसरे बल्लेबाज कवर में शॉट खेलते उसे वे फ्लिक करके मिड ऑन या मिड विकेट का रास्ता दिखा देते. कॉलर खड़ा रखना आदत थी. फ़ील्डिंग में एक नम्बर. हर तरह से एक शानदार खिलाड़ी....
लेकिन फिर एक दिन उनका नाम उछला लेकिन गलत कारणों से. अफ्रीकी कप्तान हैन्सी क्रोनिए ने कहा कि अजहर ने उसे एक सटोरिये से मिलवाया था. अज़हर पर मैच फिक्सर होने का दाग लगा.
साल 2000 की शुरुआत ने क्रिकेट जगत में तहलका मचा दिया था. पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया शारजाह कप खेलकर स्वदेश लौटी थी. तभी मैच फिक्सिंग की खबर ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी. साउथ अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए (Hansie Cronje) का नाम सामने आ गया. अप्रैल की शुरुआत में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हैंसी क्रोनिए और बुकी संजीव चावला की बात को रिकॉर्ड किया, जिसमें मैच फिक्सिंग को लेकर बातचीत की जा रही थी. साउथ अफ्रीका के तीन और खिलाड़ियों हर्शल गिब्स (Herschelle Gibbs), पीटर स्ट्राइडम और निकी बोजे के नाम भी सामने आए थे.

15 जून 2000 के दिन वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. क्रोनिए ने अज़हर पर 1996 में एक टेस्ट मैच फिक्स करने के लिए सट्टेबाज से मिलवाने का आरोप लगाया. इसी कबूलनामे में क्रोनिए ने टीम इंडिया के उस वक्त के कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन का नाम भी लिया था. हैंसी क्रोनिए ने किंग कमीशन के सामने इस बात को कबूल किया था कि, "टीम इंडिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में हारने के लिए आखिरी दिन अगर उनकी टीम विकेट गंवाती है तो उन्हें इसके बदले में 30 हज़ार अमेरिकी डॉलर मिलेंगे." इसके बाद में हैंसी क्रोनिए की न सिर्फ कप्तानी छिनी बल्कि उन पर लाइफ टाइम क्रिकेट खेलने पर बैन लग गया....वहीं हर्शल गिब्स और हेनरी विलियम्स को चार महीने के लिए प्रतिबंधित किया गया. पीटर स्ट्राइडम आरोप से बरी कर दिए गए.
फिक्सिंग के ये तार मोहम्मद अज़हरुद्दीन के अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ स्टार खिलाड़ियों से भी जुड़े. भारतीय टीम के पूर्व आलराउंडर मनोज प्रभाकर ने कपिल देव, सुनील गावस्कर के नाम फिक्सिंग के आरोपियों के रूप में बताए थे. इस मामले में उनकी जांच भी हुई थी. जुलाई 2000 में आयकर अधिकारियों ने भारतीय टीम के टॉप चार क्रिकेटरों अज़हरुद्दीन , अजय जडेजा , नयन मोंगिया, निखिल चोपड़ा और कपिल देव के घरों पर छापा मारा.
सीबीआई रिपोर्ट में कहा गया कि अजहर ने मैच फिक्सिंग में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली है. रिपोर्ट में अजहर का अपने साथियों अजय जडेजा और नयन मोंगिया से मदद लेने की भी बात कही गई. 27 नवंबर 2000, बीसीसीआई के एंटी करप्शन कमिश्नर के. माधवन ने अजहर को दोषी पाया. अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा और पूर्व भारतीय टीम Physio अली ईरानी को सट्टेबाजों के साथ गठजोड़ का दोषी पाया गया. जबकि नयन मोंगिया और कपिल देव पर आरोप गलत साबित हुए.

फिर 5 दिसंबर 2000, अजय शर्मा के साथ मिलकर अजहर को मैच फिक्सिंग में उनकी भूमिका पर जीवनभर के लिए क्रिकेट से बैन कर दिया गया. अजय जडेजा को पांच साल के लिए बैन किया गया. प्रभाकर और अली ईरानी को भारतीय क्रिकेट में किसी भी पद के लिए पांच साल तक प्रतिबंधित कर दिया गया.
इसके साथ ही मोहम्मद अजहरुद्दीन नामक सितारा अस्त हो गया. इस खिलाड़ी की महानता की दास्तान शुरू होती है पहले मैच से... उन्होंने पहले तीन टेस्ट मैचों में एक के बाद एक शतक ठोक दिए. सनसनी मच गई थी. बात 1985 की है. पांच साल बाद 1990 में उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी सौंप दी गई. तीन वर्ल्ड कप में भारत का नेतृत्व करने वाले और एक दौर में टीम को 90 जीत दिलाने वाले, वह सबसे सफल भारतीय वनडे कप्तान कहलाते थे.
लेकिन ये सब तबतक था जब तक उनका नाम मैच-फिक्सिंग मामलों में नहीं आया था. 1996 वर्ल्ड कप से अज़हर के क्रिकेट करियर का ढलान शुरु हो गया. वर्ल्ड कप सेमीफाइनल की शर्मनाक हार के बाद अज़हर लगातार विवादों में बने रहे. अजहर के खेल का स्तर लगातार गिरता रहा.

ईडन गार्डन में 74 गेंदों पर बनाया गया शतक गवाह है जब उन्होंने दर्शकों की शाबाशी तक कुबूल नहीं की. अज़हरुद्दीन ने इस मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में सेंचुरी मारी थी तो बल्ला उठाकर दर्शकों का अभिवादन नहीं किया था. अज़हर में कुछ अकड़ तो आ ही गई थी. वो दौर भी आया जब दबी जुबान ये बातें होने लगीं कि अजहर पाकिस्तान के खिलाफ जानबूझकर खराब खेलने लगे हैं. अज़हर के खिलाफ दबी जुबान में जो भी बातें होती रहीं हों लेकिन उन पर सबसे बड़ी गाज मैच फिक्सिंग के आरोपों ने गिराई. तहलका के स्टिंग ऑपरेशनों ने क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया. एक ऐसे ही स्टिंग में मुंबई के कमिश्नर राकेश मारिया अज़हर पर गंभीर आरोप लगाए थे.
राकेश मारिया ने अज़हर को एक ऐसे माफिया के तौर पर दिखाया जो एक से सवा करोड़ रुपयों में मैच फिक्स कर सकता था. अजय जडेजा, नयन मोंगिया और दो तीन दूसरे खिलाड़ियों को साथ लेकर मैच का नतीजा तय हो जाता. हर खिलाड़ी को 20 से 25 लाख मिलने की बात होती.
राकेश मारिया की टीम को बड़ा माल 1994-95 के इंडिया के न्यूज़ीलैंड टूर पे मिला. उस वक़्त राकेश मारिया एक सट्टेबाज को निगरानी में रखे हुए थे. वो सट्टेबाज कई इंडियन प्लेयर्स से पिछली डील्स के बारे में बात कर रहा था. उस मैच में इंडिया 46वें ओवर में 160 पर ऑल आउट हो गई थी. शुरुआत में मारिया कुछ संशय में थे.
राकेश मारिया ने कहा था कि मुझे विश्वास नहीं हुआ कि ये हो सकता है. और वही शायद एक गलती थी जो हमने की. मैं इसमें एक क्रिकेटर की तरह घुसा न कि पुलिस अफ़सर के जैसे. कि ये हो ही नहीं सकता. वरना अगर उस वक़्त हमने इसे किया होता तो और गहराई में जा सकते थे.

जैसा की हमने आपको पहले बताया...राकेश मारिया की इस बात और आरोप पर मुहर साउथ अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए ने भी लगा दी थी. क्रोनिए ने माना कि अज़हर ने उन्हें किसी संजीव चावला नाम के बुकी से मिलवाया था. किंग कमीशन बैठा. जांच हुई. हालांकि क्रोनिए जून 2000 में विमान दुर्घटना में मारे गए. साबित भले कुछ हुआ या न हुआ हो लेकिन खेल और इन खिलाड़ियों को लेकर दर्शकों का नजरिया तो धूमिल हो ही गया. जिस खेल की पहचान कभी पैशन से हुआ करती थी वह पैसों से होने लगी.
साल 2000 में अज़हर पर बीसीसीआई और आईसीसी ने लाइफ टाइम बैन लगा दिया. अज़हर ने फैसले को अदालत में चुनौती दी और 12 साल तक इसके खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ी. 2012 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने उन पर लगा लाइफ टाइम बैन हटा लिया. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. अजहर का क्रिकेट करियर इससे काफी पहले खत्म हो चुका था.
अज़हर अपने उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि वो काफी मुश्किल था. लेकिन इसी के साथ मुझे विश्वास था. मुझमें बेहिसाब सब्र है और उस दौरान इसी बात ने मेरी काफी मदद की. उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ, उसके लिए मैं किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहता. मुझे नहीं पता कि मुझ पर प्रतिबंध क्यो लगाया गया था. लेकिन मैंने लड़ने का फैसला किया और मुझे खुशी है कि 12 साल बाद मुझे पाक साफ करार दिया गया.
मोहम्मद अज़हरुद्दीन की जिंदगी में आए मोड़ और उतार चढ़ाव वे किसी रोमांचक किस्सागोई का सा जादुई असर रखते हैं. 90 के दशक के भारतीय क्रिकेट के बारे में याद हो, वो अच्छी तरह समझ सकता है कि भारतीय क्रिकेट में कप्तान तो बहुत हुए, लेकिन मोहम्मद अजहरुद्दीन जितना ताकतवर कप्तान शायद ही कोई हुआ हो. लेकिन उसके बाद वह जिस तरह गिरे वैसा भी शायद ही किसी क्रिकेट कप्तान के साथ हुआ हो. वैसे तो सोच कोई ये भी नहीं सकता था कि अजहर कभी राजनीति में आएंगे, लेकिन वो आए ही नहीं बल्कि सियासत में जगह भी बना ली.
मीडिया ने उनकी जिंदगी के हर पहलू को जमकर भुनाया. एकता कपूर ने जब उनके जीवन पर फिल्म बनाने की सोची तो उन्हें मनाने के लिए तीस से ज्यादा बार मिलना पड़ा और आख़िर में अज़हर फ़िल्म 2016 में आई.
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