पॉडकास्ट सीरीज: 'क्रिकेट के बड़े विवाद' l EP-8 l रॉस इमर्सन vs अर्जुन रणतुंगा
ये पहला मौका नहीं था जब अंपायर रॉस इमर्सन ने मुरलीधरन के गेंदबाजी एक्शन पर सवाल उठाया था. इससे पहले 5 जनवरी 1996 को भी मुरलीधरन के एक्शन को अवैध बताते हुए रॉस ने नो बॉल का फैसला सुनाया था. ये उनका पहला मैच था और उन्होंने मुरलीधरन के पहले ही ओवर में 3 गेंदों को नो बॉल करार दिया था. इस घटना से 10 दिन पहले मेलबर्न टेस्ट के दौरान भी मुरलीधरन के एक्शन पर डेरेल हेयर (Darrell Hair) ने सवाल खड़े किए थे और मुरलीधरन की गेंद को नो बॉल दिया था.
क्रिकेट और विवाद, दोनों का गहरा नाता है. अगर कहा जाए दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तो गलत नहीं होगा. क्रिकेट के मैदान पर अक्सर कई बड़े विवाद देखे गए हैं. मैदान पर खिलाड़ी आपस में लड़ते दिखे हैं, खूब बयानबाजी, स्लेजिंग होती है...लेकिन ऐसे विवाद बहुत कम हुए हैं जब अंपायर के फैसले ने कप्तान को इतना नाराज कर दिया कि वो अपनी पूरी टीम के साथ मैदान की बाउंड्री लाइन पर चला जाए और मैच रद्द करने की नौबत आ गई.
दरअसल 1999 में श्रीलंका की टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी, वो टेस्ट सीरीज के बाद त्रिकोणीय सीरीज में हिस्सा ले रही थी जिसमें इंग्लैंड की टीम भी शामिल थी. एडिलेड ओवल के मैदान पर इंग्लैंड की टीम बल्लेबाजी कर रही थी और 15 ओवर खत्म होने के बाद श्रीलंका के कप्तान अर्जुन रणतुंगा (Arjuna Ranatunga) ने मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) को गेंदबाजी पर लगा दिया. मुरलीधरन ने बेहतरीन गेंदबाजी की, लेकिन 18वें ओवर में जब मुरलीधरन दोबारा गेंदबाजी करने आए तो उनकी पांचवीं गेंद नो बॉल करार दे दी गई. अंपायर रॉस इमर्सन (Ross Emerson) ने कहा कि वो अवैध एक्शन से गेंदबाजी कर रहे हैं.
अंपायर के इस फैसले से रणतुंगा झल्ला गए. उन्होंने पहले अंपायर रॉस से जाकर बात की....काफी देर तक दोनों आपस में एक-दूसरे को उंगली दिखाकर बहस करते रहे. अर्जुन रणतुंगा दोनों फील्ड अंपायर को समझाते रहे. लेकिन रॉस अपने फैसले पर अड़े थे. फिर अर्जुन रणतुंगा ने अपनी पूरी टीम को पिच के पास बुला लिया और अंपायरों के सामने अपना पक्ष रखने लगे. रणतुंगा ने बताया कि मुरलीधरन का एक्शन एकदम सही है और उन्हें आईसीसी से क्लीन चिट मिली हुई है.

मुथैया मुरलीधरन की फेंकी गेंद को 'चकिंग' कहते हुए रॉस इमर्सन ने उसे नोबॉल बताया था. दरअसल क्रिकेट के खेल में हाथ को एक ख़ास कोण में रख कर गेंद फेंकने की इजाज़त होती है. लेकिन मुरलीधरन का हाथ थोड़ा अधिक मुड़ता था, जिस कारण उनके गेंद फेकने की प्रक्रिया को 'चकिंग' कहा गया. उस वक्त आईसीसी ने 'चकिंग' को अमान्य मानता था. जिसके चलते रॉस इमर्सन ने मुरलीधरन के बॉलिंग एक्शन पर सवाल उठाया था.
ये पहला मौका नहीं था जब अंपायर रॉस इमर्सन ने मुरलीधरन के गेंदबाजी एक्शन पर सवाल उठाया था. इससे पहले 5 जनवरी 1996 को भी मुरलीधरन के एक्शन को अवैध बताते हुए रॉस ने नो बॉल का फैसला सुनाया था. ये उनका पहला मैच था और उन्होंने मुरलीधरन के पहले ही ओवर में 3 गेंदों को नो बॉल करार दिया था. इस घटना से 10 दिन पहले मेलबर्न टेस्ट के दौरान भी मुरलीधरन के एक्शन पर डेरेल हेयर (Darrell Hair) ने सवाल खड़े किए थे और मुरलीधरन की गेंद को नो बॉल दिया था.
इसके बाद मुरलीधरन ने साल 1996 वर्ल्ड कप से पहले हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में अपने गेंदबाजी एक्शन की जांच कराई, जिसमें उन्हें क्लीन चिट मिली थी. अब जब तीन साल बाद एक बार फिर अंपायर रॉस इमर्सन ने मुरलीधरन के एक्शन पर सवाल खड़े किए तो अर्जुन रणतुंगा भड़क गए और वो अपनी पूरी टीम के साथ मैदान की बाउंड्री लाइन पर खड़े हो गए.

अर्जुन रणतुंगा ने बीच मैदान पर बगावत कर दी थी, वो अंपायर का फैसला मानने को कतई तैयार नहीं थे. मुरलीधरन के एक्शन को आईसीसी से मान्यता मिली थी तो ऐसे में उन्होंने अपने युवा गेंदबाज के समर्थन का फैसला किया, जो कि हर जिम्मेदार कप्तान करता. रणतुंगा पूरी तरह मैच को छोड़ने के लिए तैयार थे लेकिन इसके बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी उनसे बात करने आए. जब बोर्ड के अध्यक्ष ने रणतुंगा से बात की, तब उनके निर्देश पर श्रीलंकाई टीम वापस खेलने आई.
एडिलेड ओवल में खेले गए उस मैच में श्रीलंका ने इंग्लैंड पर एक विकेट से रोमांचक जीत दर्ज की थी. श्रीलंका ने 2 गेंद पहले 303 रनों का विशाल लक्ष्य हासिल किया. सनथ जयसूर्या ने सिर्फ 36 गेंदों में 51 रन ठोके, जयवर्धने ने 111 गेंदों में 120 रनों की पारी खेली. आखिर में मुरलीधरन और प्रमोद्य विक्रमसिंगे की जोड़ी ने श्रीलंका को जीत दिलाई. श्रीलंका को जीत तो मिली लेकिन कप्तान अर्जुन रणतुंगा को अंपायरों के साथ उनके बर्ताव के चलते एक मैच के लिए सस्पेंड कर दिया गया.

वहीं मुरलीधरन को एक बार फिर एक्शन की जांच कराने के लिए पर्थ भेजा गया. वहां भी उनके एक्शन को वैध पाया गया. यहां तक कि आईसीसी ने मुरलीधरन को उनके एक्शन में सुधार की सलाह भी नहीं दी. इस टेस्ट के बाद साबित हो गया कि मुरलीधरन के साथ खड़े होकर कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने कुछ गलत नहीं किया था.
वैसे इसके बाद भी मुरलीधरन के एक्शन पर दो बार फिर सवाल खड़े किए गए. 16 मार्च 2004 को उन्होंने अपनी गेंद से कहर बरपाते हुए 500 टेस्ट विकेट पूरे किए. लेकिन मैच के बाद मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने एकबार फिर मुरलीधरन के बॉलिंग एक्शन पर सवाल खड़े किए. मुरलीधरन इसमें भी पास हुए. 2006 में भी मुरलीधरन ने वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में बायोमेकेनिकल टेस्टिंग कराई, एक बार फिर उनका एक्शन वैध पाया गया.

टेस्ट और वनडे मैचों में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले स्पिनर मुथैया मुरलीधरन का विवादों से नाता शुरू से रहा है. जब मुरलीधरन मैदान पर थे तब तो विवाद होते ही थे. लेकिन अब जब उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया है फिर भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है. दरअसल हाल ही में मुरलीधरन पर भारत में बायोपिक '800' बनने की घोषणा हुई थी. लेकिन इस फिल्म के पोस्टर के रिलीज होते ही यह विवादों का हिस्सा बन गई है. दक्षिण भारत में इस फिल्म का जमकर विरोध किया. विरोध के चलते फिल्म में मुरलीधरन का किरदार निभाने वाले विजय सेतुपति ने भी फिल्म से हटने का फैसला किया.
दरअसल पिछले साल श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनावों के दौरान एक ख़ास आयोजन हुआ था जिससे जुड़े मुरलीधरन के बयानों को लेकर लोग फिल्म का विरोध कर रहे हैं. इस आयोजन में मुरलीधरन ने 2009 में ख़त्म हुए श्रीलंका के गृहयुद्ध की खुशी मनाई थी.
एक आकलन के मुताबिक श्रीलंकाई गृहयुद्ध के आख़िरी दिनों में करीब 40,000 आम तमिल नागरिक मारे गए थे. तमिलनाडु में लोग खुद को श्रीलंका के अल्पसंख्यक तमिलों के करीब मानते हैं और उनके लिए ये बेहद संवेदनशील मुद्दा है. इसी के चलते इस फिल्म का लोग विरोध कर रहे थे.
फिल्म को लेकर जारी विवाद के बारे में मुरलीधरन ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कई विवादों का सामना किया है. सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं, और भी विवाद झेले हैं. ये उन्हीं में से एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि उन पर तमिलों के खिलाफ होने का आरोप लगाया जा रहा है और कहा कि यह राजनीतिक कारणों के चलते है. उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी मासूम लोगों को मारे जाने का समर्थन नहीं किया और वो श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दर्द को समझते हैं.
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