पॉडकास्ट सीरीज: 'क्रिकेट के बड़े विवाद' l EP-9 l मंकीगेट विवाद
इतने सारे गलत फैसलों के बावजूद भारतीय टीम मैच बचाती हुई दिख रही थी लेकिन माइकल क्लार्क ने आखिर में एक ओवर में 3 विकेट लेकर मैच का पासा पलट दिया और भारतीय टीम को 122 रनों से हार का सामना करना पड़ा. मैदान में खराब अंपायरिंग के अलावा एक और विवाद हुआ जो काफी सुर्खियों में रहा. इस दौरान एक ऐसा विवाद हुआ जो क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े विवादों में शुमार है.
क्रिकेट जगत में ऑस्ट्रेलियाई टीम हमेशा से ही अपने आक्रामक खेल के लिए जानी जाती है. साथ ही मैदान पर विरोधी टीम पर दबाव बनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी लगातार स्लेजिंग यानि कमेंट्स करते रहते हैं. लेकिन इस बार मामला कुछ अलग था....स्लेजिंग के लिए पॉपुलर ऑस्ट्रेलिया ने ये आरोप विरोधी टीम पर लगाया था और वो थी भारतीय टीम.
2007-08 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी. मेलबर्न में 337 रनों से हार के बाद 1-0 से पीछे चल रही टीम इंडिया दूसरे मुकाबले में सिडनी के मैदान पर थी. तब ऑस्ट्रेलियाई टीम 193 रन पर 6 विकेट खो कर संघर्ष कर रही थी, तभी ईशांत शर्मा की एक गेंद ने एंड्रयू सायमंड्स के बल्ले का किनारा पकड़ लिया. सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सबने इसे देखा और सुना लेकिन अंपायर स्टीव बकनर के कानों तक ये आवाज नहीं पहुंची.
इसके बाद हरभजन सिंह की गेंद पर वो स्टंप आउट भी हुए लेकिन स्टीव बकनर ने फिर भी उन्हें नॉट आउट करार दिया और थर्ड अंपायर से मदद नहीं मांगी. यहां तक कि अनिल कुंबले की गेंद पर जब स्टंप आउट की अपील हुई तो थर्ड अंपायर ब्रूस ऑक्सनफोर्ड ने उनको नॉट करार दे दिया. जबकि रीप्ले में दिखाई दे रहा था कि उनके पैर हवा में थे और कमेंटेटर भी कह रहे थे कि सायमंड्स आउट हैं. इस तरह के फैसले का पूरा फायदा उठाते हुए सायमंड्स ने 163 रनों की पारी खेल ऑस्ट्रेलियाई टीम को 463 रन के स्कोर तक पहुंचा दिया. इससे पहले सौरव गांगुली की गेंद पर रिकी पोटिंग को भी अंपायर ने नॉट करार दिया था.

भारत ने भी 532 रन बनाकर अच्छा जवाब दिया. वीवीएस लक्ष्मण ने 109 और सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 154 रनों की शानदार पारी खेली थी. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी 7 विकेट पर 401 बनाकर घोषित की. भारत को जीत के लिए 333 रनों का लक्ष्य मिला. आखिरी दिन बल्लेबाजी करते हुए भी टीम इंडिया के साथ बेईमानी हुई. 38 रन पर खेल रहे राहुल द्रविड़ को एंड्रयू सायमंड्स की गेंद पर विकेटों के पीछे कैच आउट करार दे दिया. जबकि उनका पैड आगे था बल्ला गेंद से काफी दूर था लेकिन एडम गिलक्रिस्ट ने विकेटों के पीछे से अपील की और अंपायर ने द्रविड़ को आउट करार दे दिया.
इसके बाद 51 रन पर खेल सौरव गांगुली भी इसी तरह की एक खराब अंपायरिंग का निशाना बन जाते हैं. ब्रेट ली के ओवर में गेंद गांगुली के बल्ले का किनारा लेकर स्लिप में जाती है और वहां मौजूद माइकल क्लार्क कैच पकड़ने का दावा करते हैं. यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोन्टिंग भी उंगली खड़ी कर साफ कैच पकड़ने का दावा करते हैं. रीप्ले में साफ दिखाई देता है कि क्लार्क ने ठीक तरह से कैच नहीं पकड़ा था और गेंद जमीन को लग चुकी थी लेकिन अंपायर मार्क बेंसन गांगुली को आउट करार देते हैं.
इतने सारे गलत फैसलों के बावजूद भारतीय टीम मैच बचाती हुई दिख रही थी लेकिन माइकल क्लार्क ने आखिर में एक ओवर में 3 विकेट लेकर मैच का पासा पलट दिया और भारतीय टीम को 122 रनों से हार का सामना करना पड़ा. मैदान में खराब अंपायरिंग के अलावा एक और विवाद हुआ जो काफी सुर्खियों में रहा. इस दौरान एक ऐसा विवाद हुआ जो क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े विवादों में शुमार है.
दरअसल सिडनी टेस्ट का तीसरा दिन था. हरभजन सिंह बल्लेबाज़ी कर रहे थे. एंड्र्यू सायमंड्स के साथ भज्जी की कहासुनी होती है. मैच बिल्कुल कांटे की तरह फंसा हुआ था. सचिन तेंदुलकर और हरभजन मैच को बचाने के लिए जी-जान लगाए हुए थे. लेकिन सायमंड्स लगातार भज्जी को बड़ा शॉट खेलने के लिए उकसा रहे थे. भज्जी एकाग्र होकर क्रीज़ पर जमे हुए थे. थोड़ी देर तक भज्जी ये सब अनसुना करते रहे. लेकिन जब बात हद से ज़्यादा बढ़ी तो भज्जी ने सायमंड्स को पलटकर जवाब दे दिया.
उनका ये बयान ऑस्ट्रेलियन कप्तान रिकी पोन्टिंग को नागवार गुजरा और उन्होंने मैच को मैच ना रहने देते हुए जंग का मैदान बना दिया. मतलब मैच की नोंकझोंक की शिकायत मैच रेफरी से कर दी. लेकिन बड़ी बात ये थी कि उन्होंने मैच रेफरी से आम शिकायत नहीं की थी. पोन्टिंग ने रेफरी से स्लेजिंग की शिकायत नहीं की थी. बल्कि उन्होंने हरभजन पर नस्लीय टिप्पणी यानि रेसिज़्म का गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि भज्जी ने सायमंड्स को मैदान पर 'मंकी' यानि बंदर कहा है.
ये अपराध आईसीसी के नियम के मुताबिक बहुत बड़ा था. किसी भी तरह की नस्लीय टिप्पणी को 'लेवल तीन' का अपराध माना जाता है. इसमें आरोप साबित होने पर किसी भी खिलाड़ी पर दो से चार टेस्ट या फिर चार से आठ वनडे का बैन लग सकता है.
तीसरे दिन का खेल ख़त्म हुआ और सिडनी क्रिकेट मैदान पर मैच रेफरी के सामने सुनवाई शुरू हो गई. लगभग छह घंटे लंबी सुनवाई आधी रात तक चली और आखिरकार हरभजन को दोषी ठहराते हुए तीन मैचों का बैन लगा दिया गया. इसके बाद मैच जैसे-तैसे पूरा हुआ और ऑस्ट्रेलिया ने कुछ विवादास्पद फैसलों के साथ मैच जीत लिया.
लेकिन असली कहानी इसके बाद शुरू होती है. अब भारतीय टीम वो करने वाली थी जो उनकी एकता को दिखाता है. अनिल कुंबले की कप्तानी वाली टीम ने हरभजन सिंह के साथ डटे रहने का फैसला किया. भारतीय टीम ने अगले प्रेक्टिस मैच के लिए केनबरा जाने से इंकार कर दिया. भारतीय खिलाड़ियों ने साफ कर दिया कि, अगर भज्जी पर से नस्लभेदी टिप्पणी के आरोप वापस नहीं लिए गए, तो वो दौरा रद्द करके वापस लौट जाएंगे. इधर भारत में भी विरोध प्रदर्शन होने लगे और खराब अंपायरिंग को लेकर काफी सवाल उठाए गए.
ऐसे में अब बीसीसीआई भी इस मामले के बीच आ गया था. मामला अब आईसीसी के पाले में था. मामले ने इतना तूल पकड़ लिया था कि टीम इंडिया को वापस लाने के लिए एक चार्टर्ड प्लेन का इंतज़ाम भी किया जा चुका था.
इस पूरे मामले में विवाद बढ़ता देख, आईसीसी ने इसकी सुनवाई न्यूज़ीलैंड के जज जॉन हैन्सन को सौंप दी. इस मामले में ये खबर भी थी कि भारतीय टीम अब कोर्ट में ये दलील पेश करने वाली है कि हरभजन ने सायमंड्स को 'मंकी' नहीं बल्कि उससे मिलती जुलती हिंदी भाषा की एक गाली दी थी.

इसके बाद 29 जनवरी 2008 के दिन कोर्ट के अंदर भारतीय टीम और ऑस्ट्रेलिया के कई खिलाड़ी पहुंचे. हरभजन सिंह के साथ सचिन तेंदुलकर, जबकि एंड्र्यू सायमंड्स के साथ माइकल क्लार्क और रिकी पोन्टिंग थे. सुनवाई लगभग शाम के चार बजे तक चली और आखिर में पत्रकारों को भी कोर्ट रूम के अंदर बुला लिया गया. हालांकि उन्हें सवाल पूछने की इजाज़त नहीं थी.
जज जॉन हैन्सन ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुनाया. उन्होंने भज्जी पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा था कि "हरभजन ने सायमंड्स को 'मंकी' नहीं बल्कि 'तेरी मां की' कहा था."
भारतीय टीम के कप्तान अनिल कुंबले ने उस वक्त कहा था कि इस मैच में सिर्फ एक ही टीम खेल भावना के साथ खेली थी. उनका इशारा साफ तौर पर समझा जा सकता था. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने भी उस मैच के बारे में कहा था कि ये मैच शायद अपने गलत फैसलों के लिए जाना जाएगा.
वहीं हरभजन सिंह ने एक शो में कहा था कि जब मैं 2008 सिडनी टेस्ट मैच की बात करता हूं तो मुझे लगता है कि पोन्टिंग खुद ही अंपायर बन गए थे. वो कैच पकड़ने का दावा कर रहे थे और खुद ही फैसले सुना दे रहे थे. हरभजन सिंह ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई कहते हैं कि जो मैदान पर हुआ उसे मैदान पर ही छोड़ देना चाहिए, लेकिन जो विवाद मेरे और सायमंड्स के बीच हुआ, वो मैदान के बाहर चला गया. मैं और सायमंड्स एक दूसरे के काफी पास थे और हमारे पास सचिन तेंदुलकर थे. जब सुनवाई शुरू हुई तो मैथ्यू हेडन, एडम गिलक्रिस्ट, माइकल क्लार्क और रिकी पोन्टिंग, चारों ने कहा कि हमने भज्जी को सायमंड्स से कुछ कहते सुना है.
भज्जी ने कहा कि मैं सोच रहा था कि तुम लोग तो पास में ही नहीं थे, जहां तक कि सचिन भी नहीं जानते थे कि क्या हुआ है. सिर्फ मैं और सायमंड्स जानते थे कि क्या हुआ है. मैं विवादों में फंस गया. सुनवाई हुई और मैं काफी डरा हुआ था कि मेरे साथ क्या हो रहा है. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने मुझे माइकल जैक्सन बना दिया था. मेरा पीछा लगातार कैमरे कर रहे थे.
एंड्रयू सायमंड्स ने इस विवाद के बाद कहा था कि 'मंकीगेट स्कैंडल' ने उनके क्रिकेट करियर को तबाह कर दिया. उसके बाद से मेरे करियर का ग्राफ गिर गया. मैं बहुत ज्यादा शराब पीने लगा था जिसकी वजह से मेरी जिंदगी मेरे आस पास ही सीमित रह गई. मैं इससे गलत तरीके से डील कर रहा था. मुझे इस बात का अफसोस है कि मैंने ऐसे मामले में अपने साथी खिलाड़ियों को घसीटा जिसमें मुझे लगता है कि उनका शामिल होना ठीक नहीं था.
वहीं एक कार्यक्रम में रिकी पोन्टिंग ने कहा था कि बतौर कप्तान मंकीगेट मेरे कॅरियर का सबसे खराब दौर था. इसके पहले 2005 में हम एशेज हारे थे. इसके बावजूद हर चीज पर मेरा कंट्रोल था. लेकिन, जब मंकीगेट एपिसोड चल रहा था, तब मैं बहुत सी चीजों को संभाल नहीं पा रहा था. इसकी एक वजह ये भी रही कि मामला बहुत लंबा चला. एडिलेड टेस्ट मैच के बाद मैं मैदान से सीधे क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अफसरों से मिलने जाता था.
पोन्टिंग ने कहा था कि मंकीगेट के बाद हम दबाव में थे. टीम चाहती थी कि पर्थ में भारत को हराने से खोया हुआ आत्मविश्वास हासिल होगा. लेकिन, हालात तब और खराब हो गए जब इस टेस्ट में भारत ने हमें हरा दिया.
Related Stories
कोहली ने बनाए ये रिकॉर्ड, रिकी पोंटिंग और सचिन को छोड़ा पीछे
कप्तानी छोड़ने में बहुत तकलीफ हुई थी, लेकिन टीम की बेहतरी के लिए लिया फैसला- रिकी पोंटिंग
17 साल पहले आज ही के दिन टूटा था क्रिकेट में भारत का बहुत बड़ा सपना
मंकीगेट की टीस अब तक रिकी पोंटिंग को साल रही है