राजस्थान में घट रही है शराब प्रेमियों की संख्या? गहलोत सरकार को 300 करोड़ का घाटा
मई 2020 में सरकार द्वारा की गई टैक्स वसूली घटकर 697 करोड़ रुपए ही रही.
कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन के बाद से पूरे देश में शराब प्रेमियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है. माना जा रहा है कि शराब पीने की आदत छूटने से लोगों के पैसे बच रहे हैं लेकिन शराब बिक्री घटने के वजह से सरकार की तिजोरी पर विपरीत असर पड़ रहा है. राजस्थान में शराब पर अतिरिक्त एक्साइज टैक्स (Excise tax)और कोविड सरचार्ज (Covid Surcharge) लगाने के बावजूद राजस्थान (Rajasthan) सरकार को इसकी बिक्री से मिलने वाले राजस्व में इस वित्त वर्ष में 300 करोड़ रुपए की कमी आई है.
कोरोना और लॉकडाउन के चलते बढ़े आर्थिक संकट के बीच राज्य सरकार ने खजाने में कमी को दूर करने के लिए शराब की कीमतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि कर दीय इस वृद्धि से हर बोतल पर कम से कम 30 रुपए दाम बढ़ गये. जहां एक तरफ सरकार ने मई 2019 में 857 करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन शराब बिक्री से ही किया था वहीं दाम बढ़ाने के बावजूद मई 2020 में सरकार द्वारा की गई टैक्स वसूली घटकर 697 करोड़ रुपए ही रही.
लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है. राज्य सरकार को अप्रैल से 31 अगस्त 2019 के बीच 3607.39 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था. दूसरी तरफ इसी अवधि में इस वर्ष में शराब की बिक्री से 3301.53 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ. इस साल राजस्व में 305.86 करोड़ रुपए की कमी आई है जबकि शराब पर अतिरिक्त टैक्स और सरचार्ज लगाया गया है.
कोरोना वायरस के चलते लगाये गये लॉकडाउन के कारण सरकार की कमाई में जोरदार गिरावट हुई थी जिसे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने 29 अप्रैल को भारत निर्मित विदेशी शराब पर 35 से 45 प्रतिशत तक अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगाई थी. बीयर पर 45 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया गया था. .उसी दिन राजस्थान एक्साइज ऐक्ट में संशोधन करते हुए देसी और राजस्थान निर्मित शराब पर बेसिक लाइसेंस शुल्क को बढ़ा दिया गया था लेकिन इन सबके बावजूद सरकार की शराब की बिक्री से होने वाली कमाई में गिरावट दर्ज की गई है.