क्या ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन से बंदर बन जाएगा इंसान? रूस में वायरल हो रहा ये मैसेज
ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन को बदनाम करने के लिए रूस में एक अभियान चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोग बंदर बन जाएंगे.
ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन (Oxford coronavirus vaccine) को बदनाम करने के लिए रूस में एक अभियान चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को लगवाने वाले लोग बंदर बन जाएंगे. अपने दावे को पुख्ता करने के लिए वायरल हो रहे फोटो और वीडियो मैसेज में कहा गया है कि इस वैक्सीन को बनाने के लिए चिंपांजी के वायरस का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस तरह की खबरें रूसी टीवी प्रोग्राम वेस्टी न्यूज (Vesti News) में भी दिखाई गई हैं. रूस में यह प्रोग्राम ब्रिटेन में बीबीसी के न्यूजनाइट के बराबर लोकप्रिय है. वायरल की जा रहीं तस्वीरों में ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन की भी एक मॉर्फ्ड फोटो है. जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर याति के रूप में टहलते हुए दिखाया गया है. इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा है कि मुझे अपना 'बिगफुट' वैक्सीन पसंद है.
एक अन्य वायरल फोटो में ऑक्सफोर्ड के साथ वैक्सीन बना रही एस्ट्राजेनेका के लैब कोट में एक चिंपांजी को दिखाया गया है. जो वैक्सीन को एक सिरिंज के जरिए बना रहा है. जबकि एक दूसरी तस्वीर में अमेरिका के अंकल सैम को दिखाया गया है. जिसमें उनके पीछे लगे एक बैनर पर लिखा है कि मैं आपको मंकी वैक्सीन देना चाहता हूं.

ब्रिटेन में कहा जा रहा है कि इस कैंपेन का असली लक्ष्य ब्रिटिश कोरोना वायरस वैक्सीन की मार्केटिंग को नुकसान पहुंचाना है. जिससे वह अपनी खुद की Sputnik V वैक्सीन को बेच सकें. मैसेज के जरिए रूसी लोगों के मन में इस धारणा का निर्माण करने का प्रयास किया जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन बेकार है और इससे इंसान बंदर बना जाएगा.
एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्यकारी पास्कल सोरियट (Pascal Soriot) ने गुरुवार को The Times से रूस में वायरल हो रहे इन संदेशों की निंदा की. उन्होंने कहा कि एस्ट्राजेनेका के वैज्ञानिक और दुनिया भर की कई अन्य कंपनियों और संस्थानों के साथ मिलकर इस वायरस को हराने के लिए वैक्सीन और चिकित्सीय उपचार विकसित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. दुनिया भर में स्वतंत्र विशेषज्ञ और नियामक एजेंसियां हैं जो तय करती हैं कि कोई वैक्सीन लोगों के लिए सुरक्षित है या नहीं. गलत सूचना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक स्पष्ट जोखिम है.
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