यूपी में पहले चरण के चुनाव से पहले गन्ना मूल्य बक़ाया पर प्रियंका गांधी, योगी आदित्यनाथ के बीच ट्वीट युद्ध
यूपी में 11 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले गन्ना मूल्य भुगतान बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. इस मुद्दे पर तमाम विपक्षी दल बीजेपी को घेर रहे हैं.
यूपी में गन्ना मूल्य भुगतान का मुद्दा इस बार लोक सभा चुनाव में बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है. यूपी की चीनी मिलों पर किसानों का दस हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का बक़ाया है और विपक्षी दल इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं.
पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 ज़िलों में गन्ना मूल्य भुगतान एक बड़ी समस्या बन चुका है. मौजूदा समय में ये बक़ाया 10074.98 करोड़ रुपये है. इनमें से भी 4547.97 करोड़ रुपये मेरठ, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, शामली और बिजनौर ज़िले की मिलों पर है
2014 के लोक सभा चुनाव में मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण के माहौल और मोदी लहर में बीजेपी इस इलाक़े की सभी सीटों पर चुनाव जीत गई थी. लेकिन इस बार हवा बदली हुई है. नोटबंदी के बाद से चौपट कृषि अर्थव्यवस्था, गौरक्षा के नाम पर खेती को नुक़सान और गन्ना मूल्य भुगतान इस इलाक़े में बड़ा चुनावी मुद्दा हैं.
2018 में हुए कैराना लोक सभा सीट के उपचुनाव में बीजेपी इसका ख़मियाज़ा भुगत चुकी है. कैराना उपचुनाव में ‘जिन्ना नहीं गन्ना’ नारा ख़ासा लोकप्रिय हुआ था. अब हालात तबसे ज़्यादा ख़राब हैं. स्टेट एडवाइजरी प्राइस के मुताबिक़ 22 मार्च, 2019 तक यूपी के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर क़रीब 12810 करोड़ रुपये बकाया था.
सरकार का दावा है कि अगर भुगतान में 14 दिन से ज़्यादा की देरी होती है तो मिल को बकाया राशि पर 15% की दर से ब्याज़ भी देना होगा. लेकिन ब्याज़ दूर किसानों को उनका मूल भुगतान भी नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार ने इस 2018 के सीज़न के लिए सामान्य गन्ने की दर 315 रुपये प्रति क्विंटल तय की है.जल्दी तैयार होने वाली क़िस्मों के लिए मिलों को 325 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करना है.
राज्य में क़रीब 28 लाख एकड़ क्षेत्र में गन्ने की खेती होती है. लेकिन मिलों से भुगतान की समस्या के चलते गन्ना बुआई क्षेत्र लगातार सिकुड़ रहा है. इस बीच मिलों ने ब्राज़ील और अफ्रीकी देशों से रॉ शुगर का आयात शुरु कर दिया है. इससे गन्ना किसानों की दिक़्कतें और बढ़ गई हैं.
पश्चिम उत्तर प्रदेश के ऊपरी दोआब और रुहेलखंड इलाक़े में पहले और दूसरे चरण में मतदान है. अगर यहां बीजेपी के ख़िलाफ बयार बहती है तो बाद के चरणों में उसकी मुश्किलें बढ़ेंगी. विपक्षी दल इस बात को समझ रहे हैं. बीजेपी जहां भावनात्मक मुद्दों के सहारे ध्रुवीकरण की उम्मीद लगाए बैठी है विपक्षी पार्टियां गन्ना मूल्य भुगतान, कृषि संकट, रोज़गार और विकास जैसे मूल मुद्दो पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं.
इस बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा है कि किसान दिन रात मेहनत करते हैं औऱ सरकार उनके भुगतान का ज़िम्मा नहीं लेती. प्रियंका गांधी ने पार्टी का आरोप दोहराया है कि बीजेपी सिर्फ अमीरों की चौकीदारी करती है और इसे ग़रीबों की परवाह नहीं है.
गन्ना किसानों के परिवार दिनरात मेहनत करते हैं। मगर उप्र सरकार उनके भुगतान का भी जिम्मा नहीं लेती। किसानों का 10000 करोड़ बकाया मतलब उनके बच्चों की शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य और अगली फसल सबकुछ ठप्प हो जाता है। यह चौकीदार सिर्फ अमीरों की ड्यूटी करते हैं, गरीबों की इन्हें परवाह नहीं। pic.twitter.com/LIBbwamdrS
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) March 24, 2019
इसके जवाब में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके कहा है कि उनकी सरकार ने अब तक 57,800 करोड़ रुपये का बक़ाया भुगतान कराया है. ये रक़म कई राज्यों के बजट से ज़्यादा है.
हमारी सरकार जब से सत्ता में आई है हमने लंबित 57,800 करोड़ का गन्ना बकाया भुगतान किया है। ये रकम कई राज्यों के बजट से भी ज्यादा है। पिछली सपा-बसपा सरकारों ने गन्ना किसानों के लिए कुछ नहीं किया जिससे किसान भुखमरी का शिकार हो रहा था।
— Chowkidar Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 24, 2019
किसानों के ये 'तथाकथित' हितैषी तब कहाँ थे जब 2012 से 2017 तक किसान भुखमरी की कगार पर था। इनकी नींद अब क्यों खुली है? प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल अब 22 प्रतिशत बढ़कर 28 लाख हेक्टेयर हुआ है और बंद पड़ी कई चीनी मिलों को भी प्रदेश में दोबारा शुरू किया गया है। किसान अब खुशहाल हैं।
— Chowkidar Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 24, 2019
इधर मुज़फ़्फ़रनगर से एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के उम्मीदवार और आरएलडी प्रमुख अजीत सिंह अपनी सभाओँ में लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं. वो किसानों से सवाल करते हैं कि बीजेपी ने उनके हितों के लिए आख़िर क्या किया है.
इस बीच बागपत के बासौली गांव में किसानों ने सभा करके तय किया है कि अगर उनका भुगतान नहीं मिला तो वो अपने जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार करेंगे. मुज़फ़्फ़रनगर के पुरकाज़ी में किसानों ने भुगतान न होने पर चीनी मिल बंद कराने की धमकी दी है. थानाभवन और बिजनौर में भी किसान अपने बक़ाया मूल्य भुगतान के लिए आंदोलन कर रहे हैं.
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