टाटा देती है सबसे ज्यादा पॉलिटिकल चंदा, बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा फंड: ADR
ADR की तरफ से गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में कॉरपोरेट और व्यापारिक घरानों ने देश के तमाम राजनीतिक दलों को कम से कम 876 करोड़ रुपये का दान दिया है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में कॉरपोरेट और व्यापारिक घरानों ने देश के तमाम राजनीतिक दलों को कम से कम 876 करोड़ रुपये का दान दिया है. राजनीतिक चंदा पाने में बीजेपी से आगे कोई दूसरी पार्टी नहीं है. साल 2018-19 में बीजेपी को 698 करोड़ रुपये का चंदा मिला जबकि कांग्रेस को सिर्फ 122.5 करोड़ रुपये मिल सके.
ADR की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में बीजेपी को 698 करोड़ का चंदा उद्योगपतियों से मिला है. जबकि कांग्रेस को कुल 122.5 करोड़ रुपये मिले और वह इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर रही. चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए एडीआर ने कहा कि सभी दलों को दानदाताओं और दान के बारे में विवरण प्रकट करना आवश्यक है अगर वह एक वित्तीय वर्ष में 20,000 रुपये से ऊपर का है.
चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए एडीआर ने कहा कि सभी दलों को दानदाताओं और दान के बारे में विवरण प्रकट करना आवश्यक है अगर वह एक वित्तीय वर्ष में 20,000 रुपये से ऊपर का है. इसमें दानकर्ता का नाम, पता, PAN, पेमेंट टाइम और रकम का ब्योरा देना पड़ता है. ADR का कहना है कि 274 कॉर्पोरेट डोनर्स से राजनीतिक पार्टियों ने 13.364 करोड़ रुपये बिना PAN और पता हासिल किए ही ले लिए.
कॉर्पोरेट्स से राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा बढ़ता ही जा रहा है. 2004-12 के बीच कॉर्पोरेट्स से पार्टियों को जितना चंदा मिला, साल 2018-19 में उसमें 131 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. ADR की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि देश के राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा चंदा उद्योगपतियों से ही मिला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉरपोरेट्स और कारोबारी घरानों द्वारा किए गए कुल 876.10 करोड़ रुपये का दान वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान विभिन्न राष्ट्रीय दलों को प्राप्त कुल दान का लगभग 92 फीसदी था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 319 दान जिसके माध्यम से राष्ट्रीय दलों को 31.42 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, का योगदान फॉर्म में विवरण ही नहीं है. इसके अलावा राष्ट्रीय दलों को मिले 34 दान में उन्होंने 13.57 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं, लेकिन उनके योगदान फॉर्म में पैन विवरण नहीं हैं. अपनी सिफारिशों में एडीआर ने कहा कि जिन दानदाताओं ने एक या एक से अधिक दान के रूप में न्यूनतम 20,000 रुपये दान किए हैं, उन्हें अपना पैन विवरण प्रदान करना चाहिए.
देश के पांच सबसे बड़े कॉर्पोरेट डोनर्स की सूची में पहला नंबर प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट का है जिसने वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 455.15 करोड़ रुपए दान किए. इसके बाद दूसरे नंबर पर प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट है, जिसने 10.25 करोड़ खर्च किए. तीसरा नंबर एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट का है, जिसने 30 करोड़ रुपए दान किए तो बीजी शिरके कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलजी ने 20 करोड़ रुपए का दान दिया. पांचवें स्थान पर मॉर्डन रोड मेकर्स हैं, जिन्होंने 15.65 करोड़ रुपए राजनीतिक दलों को दिए.
किस पार्टी को कितना कॉर्पोरेट चंदा मिला?
बीजेपी को वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 742.15 करोड़ रुपए का दान मिला जिसमें से 698.1 करोड़ रुपए कॉर्पोरेट सोर्स से मिले. कांग्रेस को मिले कुल 148.58 करोड़ चंदों में से 122.5 करोड़ रुपए कॉर्पोरेट से मिले. तृणमूल कांग्रेस को 44.26 करोड़ रुपए में से 42.99 करोड़ रुपए कॉर्पोरेट से मिले तो एनसीपी को कुल 12.05 में से 11.35 करोड़ रुपए कॉर्पोरेट से मिले.
छह सालों में बीजेपी को कुल 2,319 करोड़ रुपए का कॉर्पोरेट चंदा मिला तो इस दौरान कांग्रेस पार्टी को 376.02 करोड़ और एनसीपी को 69.81 करोड़ रुपए मिले. तृणमूल कांग्रेस को 45.02 करोड़ रुपए मिले.