मध्य प्रदेश में उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे शिवराज और कमल नाथ का भविष्य
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर की वोटिंग के साथ ही देश में 54 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराया जा रहा है. इनमें 28 सीटें मध्य प्रदेश की है. इनके नतीजे ही तय करेंगे कि शिवराज की सरकार रहेगी या जाएगी.
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव का मतदान मंगलवार को हो रहा है. ये सीटें प्रदेश के 19 जिलों में है.मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतनी ज्यादा विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव हो रहे हैं. मतगणना 10 नवंबर को कराई जाएगी. इस उपचुनाव के परिणाम तय करेंगे कि 10 नवबंर को प्रदेश की सत्ता शिवराज सिंह चौहान बचा पाते हैं या कमलनाथ सरकार की सत्ता में वापसी होगी. मतदान के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ईवीएम को लेकर तू-तू-मैं-मैं हुई.मध्य प्रदेश के निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक साढ़े 5 बजे तक 66.09 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
मध्यप्रदेश उप निर्वाचन 2020 के तहत राज्य के 19 जिलों के 28 विधानसभा सीटों पर शाम 5:30 बजे तक 66.09 प्रतिशत मतदान हुआ। @ECISVEEP #CEOMPElections#MP_ByElection2020 pic.twitter.com/ZnmtktQCdm
— CEOMPElections (@CEOMPElections) November 3, 2020
इस उपचुनाव में उन 25 प्रत्याशियों के भाग्य का भी फैसला होगा, जो कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए थे. ये सभी 25 विधायक अब बीजेपी के टिकट पर अपने ही इलाके से उम्मीदवार हैं. इनमें से अधिकांश ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं. सिंधिया भी कांग्रेस छोड़कर इस साल मार्च में बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसलिए उपचुनाव में सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
कांग्रेस बनाम बीजेपी
मध्य प्रदेश में जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर बीजेपी में आने से खाली हुई हैं. जबकि दो सीटें कांग्रेस के विधायकों के निधन से और एक सीट बीजेपी विधायक के निधन से खाली हुई है. बीजेपी ने उन सभी 25 लोगों को प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस विधायकी पद से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए हैं.

कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने के कारण प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी. इसके कारण कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. फिर 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनी. इसके बाद कांग्रेस के चार अन्य विधायक भी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.
विधानसभा की स्थिति
प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से वर्तमान में बीजेपी के 107 विधायक हैं. वहीं काग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बीएसपी और एक समाजवादी पार्टी का विधायक है. बाकी 29 सीटें खाली हैं. इनमें से दमोह विधानसभा को छोड़कर 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव की तिथि घोषित होने के बाद दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी ने विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी की सदस्यता ली थी.
उपचुनाव के बाद सदन में विधायकों की संख्या वर्तमान 202 से बढ़कर 229 हो जाएगी. इसलिए बीजेपी को बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र आठ सीटों को जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतनी होंगी.

उपचुनाव के लिए हो रहे मतदान के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आमने-सामने आ गए हैं. दिग्विजय सिंह ने ईवीएम को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ईवीएम में चिप होती है और वह हैक हो सकती है. इस पर शिवराज ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ईवीएम पर सवाल खड़े करने का बहाना लेकर पहले से हार की भूमिका बनाने लगी है. यही ईवीएम 2018 के चुनाव में थी. उसमें कांग्रेस को 114 सीट मिलीं, तब ईवीएम ठीक थी.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि जनता चुनाव लड़ रही है, जब जनता चुनाव लड़ती है, तो पूरा शासन और प्रशासन कितनी भी कोशिश कर ले, ज्यादा प्रभाव पड़ने वाला नहीं. जैसा कि हमने आगाह कर दिया था कि जनता इन्हें हराना चाहती है. ये केवल प्रशासन के जरिए चुनाव जीतना चाहते हैं. कई जगह से शिकायत आ रही है कि गरीबों को वोट नहीं डालने दिया जा रहा है. उनकी मतदाता पर्ची बीएलओ से छुड़ाकर बीजेपी के लोगों ने अपने पास रख ली हैं.

सिंह ने कहा कि तकनीकी युग में विकसित देश ईवीएम पर भरोसा नहीं करते, पर भारत और कुछ छोटे देशों में ईवीएम से चुनाव होते हैं. विकसित देश क्यों नहीं कराते? क्योंकि उन्हें ईवीएम पर भरोसा नहीं है? क्योंकि जिसमें चिप है, वह हैक हो सकती है.
इस पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दिग्विजय सिंह पहले से हार की भूमिका बनाने लगे हैं. यही ईवीएम 2018 के चुनाव में थी. इसमें कांग्रेस को 114 सीट मिलीं, तब ईवीएम ठीक थी. अब जब कांग्रेस को हार दिख रही है, तो इसका ठीकरा ईवीएम पर मढ़ दो और खुद छुट्टी पा लो.
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