अर्जेंटीना की वो जगह जहां माराडोना की याद में किसी ने आंसू नहीं बहाए, जश्न मनाया
अर्जेंटीना के फुटबॉलप्रेमी विला फियोरिटो में उस छोटे से मकान के बाहर भी जमा हुए, जहां उनके महानायक माराडोना का जन्म हुआ और वह पले-बढ़े.
महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना के निधन से जहां दुनियाभर में फुटबॉलप्रेमी शोकाकुल हैं. वहीं अर्जेंटीना अपने महानायक को खोकर आंसुओं में डूब गया. दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार 1986 वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना की जीत के नायक डिएगो माराडोना का बुधवार को ब्यूनस आयर्स में निधन हो गया. लेकिन अर्जेंटीना में एक ऐसी भी जगह है, जहां लोगों ने उनके सम्मान में जश्न मना. विला फियोरिटो (Villa Fiorito) के जिस मैदान पर माराडोना ने फुटबॉल का ककहरा सीखा था, वहां उनकी याद में कोई आंसू नहीं बहाए गए, बल्कि उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाया गया.
माराडोना के फैंस अर्जेंटीना के उस जूनियर स्टेडियम पर भी जमा हुए, जहां उन्होंने 1976 में पेशेवर फुटबॉल में पहला कदम रखा था. वो बोका जूनियर्स के ऐतिहासिक ला बोंबोनेरा स्टेडियम के बाहर भी इकट्ठे हुए. जिम्नासिया ला प्लाटा के मुख्यालय के बाहर भी फुटबॉलप्रेमी जमा हुए. माराडोना इस टीम के कोच रहे थे.
Fans gather outside La Bombonera stadium to sing and pay tribute to Argentine football legend Diego Maradona after his death at the age of 60. La Bombonera is home to Boca Juniors football club, where Maradona played during two spells of his career. pic.twitter.com/YPff4u2K99
— Entertainment News Media (@Enterta68944288) November 26, 2020
फुटबॉलप्रेमियों की भीड़ में मौजूद डॉक्टर डांटे लोपेज ने कहा, "मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं, मुझे समझ में नहीं आ रहा है. डिएगो कभी मर नहीं सकता, आज माराडोना - एक मिथक का जन्म हुआ है." प्रशंसकों ने उनकी याद में मोमबत्तियां जलाईं और फूल चढ़ाए. अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अलबर्टो फर्नांडिज ने कहा, "दुनिया के लिए अर्जेंटीना का मतलब डिएगो था. उसने हमें खुशियां दीं, इतनी खुशियां कि हम कभी उसका ऋण नहीं चुका सकेंगे."
Fotos del recuerdo y una tristeza interminable: Villa Fiorito despide a Pelusa. pic.twitter.com/U58TiPrd8E
— SportsCenter (@SC_ESPN) November 25, 2020
अर्जेंटीना के फुटबॉलप्रेमी विला फियोरिटो में उस छोटे से मकान के बाहर भी जमा हुए, जहां उनके महानायक माराडोना का जन्म हुआ और वह पले-बढ़े. डिएगो माराडोना के निधन की खबर को सुनते ही नैपोली में भी हजारों लोग सड़कों पर निकल पड़े और उनकी याद में मोमबत्तियां जलाई. यह शहर कोरोना महामारी के चलते रेड ज़ोन में है लेकिन इसके बावजूद लोग जमा हुए. माराडोना सात सीजन तक नैपोली के साथ रहे और 1989 में उसे युएफा कप खिताब भी जिताया. कहा जाता है कि उन्हें कोकीन की लत भी इसी शहर में लगी.
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