आजमगढ़ : प्रार्थना सभा को बीजेपी नेता ने बताया धर्मांतरण
आजमगढ़ के एक गांव में कथित धर्मांतरण के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को बीते साल गिरफ्तार किया था. इसकी शिकायत बीजेपी के एक नेता ने की थी, पीड़ित पक्ष का कहना था कि वो धर्मांतरण नहीं बल्कि प्रार्थना कर रहे थे.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नवंबर में 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अध्यादेश 2020' लेकर आई थी. इसे राज्यपाल की मंजूरी भी मिल चुकी है. अब इस अध्यादेश के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में मामले दर्ज कराए जा रहे हैं. कानून के जानकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस अध्यादेश के दलितों, पिछड़ों और मुसलमान, बौद्ध और ईसाई जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुरुपयोग की आशंका जताई थी.

पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में इन दिनों इस कानून के तहत दर्ज एक मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल आजमगढ़ की फूलपुर तहसील के दीदारगंज थानाक्षेत्र के डीह कैथवली गांव की निवासी लाली यादव के घर से पुलिस ने हिंदुओं को लालच देकर ईसाई बनाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम जौनपुर निवासी 30 साल के बालचंद जायसवाल, आजमगढ़ के फूलपुर निवासी 32 साल के नीरज यादव और वाराणसी निवासी 20 साल के गोपाल प्रजापति है. यह कार्रवाई 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अध्यादेश 2020' के तहत की गई थी.
यह गिरफ्तारी बीते साल 20 दिसंबर को की गई थी. गिरफ्तारी के बाद 21 दिसंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में इन तीनों आरोपियों की जमानत याचिका लगाई गई. इसे अदालत ने खारिज कर दिया था.
लाली यादव ने 'एशियाविल हिंदी' को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोग उनके घर प्रार्थना करने आए थे. यह कई दिनों तक चलने वाला कार्यक्रम था. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दूरदराज से उनके कई रिश्तेदार और उनके गांव के लोग भी आए थे.
लाली यादव बताती हैं कि वहां पर धर्मांतरण जैसी कोई बात नहीं थी. धर्मांतरण कराने के आरोप गलत हैं. वो बताती हैं कि यह कुछ-कुछ वैसा ही था, जैसे कोई हिंदू किसी मजार पर जाकर कोई मन्नत मांग लेता है और मुराद पूरी होने पर वह मजार पर जाकर प्रसाद चढ़ाता है और पूजा करता है. वो कहती हैं कि यह करते हुए कोई हिंदू अपना धर्म थोड़े ही बदल लेता है. लाली कहती हैं कि वो आज भी लाली यादव ही हैं, उन्होंने अपना धर्म या जाति नहीं बदला है.

अभिलेखों के मुताबिक पुलिस में इस मामले की शिकायत डीह कैथवली निवासी अशोक कुमार ने की थी. अशोक प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और आरएसएस से जुड़े हुए हैं. अशोक ने 'एशियाविल हिंदी' को बताया कि धर्मांतरण कराने की खबर उन्हें थी. इसका पता लगाने जब वो लाली यादव के घर गए तो वहां बाहर से आए लोगों ने मुझे भी प्रार्थना करने और ईसाई धर्म स्वीकार करने कहने लगे. इसके बाद मैंने उससे साफ-साफ इनकार कर दिया. इस पर वो जबरदस्ती करने लगे. यह देखकर मैंने शोर मचाया तो वहां गांव के लोग जमा हो गए. इसके बाद मैंने इसकी सूचना पुलिस को दी. हालांकि यह बात गले नहीं उतरती है कि बीजेपी के इतने बड़े नेता को कोई जबरदस्ती ईसाई बनाने की कोशिश कैसे कर सकता है.
वो बताते हैं कि गरीब लोगों को रुपये-पैसे का लालच देकर ईसाई बनाने का खेल चल रहा है. वो बताते हैं कि इस तरह का एक कार्यक्रम पड़ोस के एक गांव में करीब 6 महीने पहले भी आयोजित किया गया था. इसकी शिकायत भी उन्होंने पुलिस में की थी. इस पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ शांति भंग की धाराओं के तहत कार्रवाई की थी. वो बताते हैं कि धर्मांतरण करने वाले लोगों की घर वापसी की कोशिश की जा रही है.

इन कार्रवाइयों पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव कहते हैं कि धार्मिक दस्तावेज के नाम पर मंतातंरण का आरोप लगाकर गिरफ्तार करना संवैधानिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है. वो कहते हैं कि मौलिक अधिकार किसी कानून के नाम पर कम नहीं किए जा सकते. प्रत्येक नागरिक को धर्म मानने और आचरण करने की स्वतंत्रता है. कौन सा धर्म मानेंगे, यह हमारा मौलिक अधिकार है, इसको रोकना-टोकना मौलिक अधिकारों का खुला उलंघन है. कोई भी कानून मौलिक अधिकार से बड़ा नहीं हो सकता, इसे सुप्रीम कोर्ट तक ने अपने फैसलों में साफ किया है.
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