तिहाड़ प्रशासन को है जल्लाद की तलाश, बक्सर जेल में क्यूं बनता है फ़ांसी का फंदा
ख़बरों के अनुसार तिहाड़ जेल अधिकारी उतरप्रदेश और दूसरे राज्यों में जल्लाद की तलाश कर रहा है.
दिल्ली सरकार ने 2012 के निर्भया मामले में दोषियों की फ़ांसी की सज़ा को माफ़ करने की दया याचिका को ख़ारिज करने की सलाह दे दी है. इसके बाद निर्भया गैंगरेप के दोषियों के पास फ़ांसी की सज़ा से बचने के क़ानूनी विकल्प अब ना के बराबर बचे हैं. इसके साथ ही हैदराबाद में जानवरों की एक डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के बाद देश में काफ़ी गुस्सा भी है. इस माहौल में किसी भी दिन निर्भया मामले के दोषियों को फ़ासी देने का हुक़्म दिया जा कता है. इसके साथ ही तिहाड़ जेल को इन दोषियों को फ़ांसी पर लटकाने के लिए जल्लादों की ज़रूरत पड़ेगी. लेकिन यह आसान काम नहीं है. बताया जा रहा है कि जेल प्रशासन अभी से जल्लादों की तलाश में है.
जल्लादों की स्थाई भर्ती नहीं होती है
भारत में मौत की सज़ा रेयर ऑफ़ रेयरस्ट मामलों में ही दी जाती है. फ़ांसी की सज़ा तय करने वाले जज या जजों को वो वजह बतानी पड़ती है जिसे वो रेयर और रेयरस्ट मानते हैं. इसलिए देश में फांसी देने के लिए जल्लाद का काम अपनाने वाले बेहद कम लोग होते हैं. सरकारे भी जल्लादों को फांसी देने के वक्त ही बुलाती है. हां कुछ राज्यों में जल्लादों को 3000 रूपए तक प्रतिमास दिया जाता है. लेकिन यह वज़ीफ़ा जैसा होता है इसे वेतन नहीं कहा जा सकता. इसके अलावा फ़ासी देने के दिन का अलग से मेहनताना जल्लाद को मिलता है.
बक्सर की जेल में ही बनता है फांसी का फंदा
फांसी का फंदा बक्सर की जेल में ही तैयार होता है. यह जेल बिहार में है और अंग्रेज़ों के ज़माने से ही इस जेल के क़ैदी फ़ांसी का फंदा बनाते रहे हैं.
इसलिए फ़ांसी का फंदा बक्सर की जेल के क़ैदी ही बनाते हैं. देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है तो फंदा सिर्फ बिहार की बक्सर जेल में ही तैयार होता है