उत्तर प्रदेश पुलिस ने दलित पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को फिर किया गिरफ्तार
एक कथित ट्वीट के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने दलित पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को गिरफ्तार कर लिया है. उन पर एक ट्वीट के जरिए सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया गया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने दलित पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें उनके दिल्ली स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने उन पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सामाजिक वैमनस्य फैलाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया है.

कन्नौजिया के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में सब इंस्पेक्टर दिनेश कुमार शुक्ल ने एफआईआर दर्ज कराई है. सब इंस्पेक्टर की तहरीर पर 17 अगस्त को एक मामला हजरतगंज कोतवाली में दर्ज किया गया है.
प्रशांत कन्नौजिया के ऊपर आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 420,465,468,469स 500, 505(1)(बी), 505(2) और आईटी एक्ट की धारा 66 लगाई गई है.
मुकदमा दर्ज कराने वाले एसआई ने आरोप लगाया है कि कन्नौजिय ने अपने ट्वीटर एकाउंट से एक स्क्रीनशॉट शेयर किया था, उसमें लिखा था, '' तिवारी जी का आदेश है, राम मंदिर में शूद्रों, ओबीसी, एससी, एसटी का प्रवेश निषेध रहेगा. सभी लोग आवाज उठाएं. सुशील तिवारी हिंदू आर्मी.''
प्रशांत कन्नौजिया को उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल जून में भी गिरफ्तार किया था. उन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद प्रशांत कन्नौजिया की रिहाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकार की रिहाई में दरियादिली दिखाए.
प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा की ओर से दायर 'हैबियस कॉरपस' पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ''हम पत्रकार के ट्वीट की सराहना नहीं करते हैं. लेकिन उसे सलाखों के पीछे कैसे रखा जा सकता है. नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि है. उसके साथ समझौता नहीं किया जा सकता है. यह संविधान द्वारा दिया गया है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है.''