उत्तर प्रदेश : अदालत ने कहा, पति को गुजारा भत्ता दे पत्नी
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने एक पेंशनधारी पत्नी को आदेश दिया है कि वो अपने बेसहारा पति को दो हजार रुपये प्रतिमाह का गुजारा भत्ता दे.
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की फैमिली कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने दस साल से अलग रह रही पेंशन पाने वाली पत्नी को चाय बेचने वाले पति को गुजारा भत्ते के रूप में दो हजार रुपये हर महीने देने के आदेश दिया है. हालांकि पति कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं है. उसका कहना है कि उसे पेंशन का एक तिहाई तो मिलना ही चाहिए था.

अधिवक्ता बालेश कुमार तायल के मुताबिक खतौली निवासी किशोरी लाल सोहंकार की 30 साल पहले कानपुर निवासी मुन्नी देवी के साथ शादी हुई थी. करीब दस साल पूर्व दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था. विवाद के बाद से ही दोनों अलग-अलग रहने लगे थे.
जब विवाद हुआ था उस दौरान मुन्नी देवी कानपुर में इंडियन आर्मी में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थी. अलग रहने के कुछ सालों बाद मुन्नी देवी रिटायर हो गईं.
रिटायर के बाद मुन्नी देवी को 12 हजार रुपये पेंशन मिलने लगी. उधर किशोरी लाल ने अपनी गुजर बसर करने के लिए चाय की दुकान खोल ली. सात साल पहले किशोरी लाल ने फैमली कोर्ट में एक वाद दायर कर दिया. इसमें उसने अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता की मांग की.
अदालत ने किशोरी लाल के हक में फैसला सुनाते हुए मुन्नी देवी को अपने पति के गुजारे भत्ते के लिए दो हजार रुपये हर महीने देने के आदेश जारी कर दिए.
किशोरी लाल का कहना है कि वर्षों पूर्व कोर्ट का फैसला आया है लोगों से कर्जा लेकर केस लड़ा है. लॉकडाउन में भी इधर-उधर से मांग कर गुजारा किया. उम्र का पड़ाव इतना हो चुका है कि चाय की दुकान करने के काबिल नहीं हूं. करीब 20 साल से विवाद चल रहा है. 2013 से मामला कोर्ट में चल रहा था. पत्नी की पेंशन 12 हजार रुपये है, पेंशन के हिसाब से चौथा हिस्सा गुजारे भत्ते के रूप मे मिलना चाहिए था. कोर्ट ने जो आदेश दिया है उससे मेरा गुजारा नहीं होगा.