WTO में चीन ने अमेरिका को दी पटखनी, अमेरिका ने कहा नहीं मानेंगे फ़ैसला
चीन ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका को ग़लत साबित किया है. हांलाकि अमेरिका अभी भी अपनी बात पर अड़ा है लेकिन चीन के लिए यह एक बड़ी जीत है.
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) ने चीन के उत्पादों पर अमेरिका के 200 बिलियन के टैक्स लगाने को पूरी तरह से ग़ैर क़ानूनी क़रार दिया है. हांलाकि इस यह फ़ैसला अमेरिका के लिए बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद चीन के लिए यह फ़ैसला काफ़ी अहमियत रखता है. पहली अहमयित इस फ़ैसले की है कि चीन की अपनी बात को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर सही साबित कर पाया है. इसके अलावा चीन भी प्रतिक्रिया में अमेरिका के उत्पादों पर शुल्क लगा सकता है. इस फ़ैसले के बाद चीन के अमेरिका के उत्पादों पर शुल्क लगाने को ग़लत नहीं कहा जा सकेगा.
यह शायद पहली बार हुआ है कि विश्व व्यापार संगठन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फ़ैसले पर सवाल उठाया है और उसे ग़लत बताया है. ट्रंप प्रशासन ने अपने कई मित्र देशों और चीन जैसे प्रतिद्वंदियों के उत्पादों पर भारी शुल्क लगाया था. डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि विश्व व्यापार संगठन यानि WTO अमेरिका के साथ नाइंसाफ़ी करता है.
विश्व व्यापार संगठन ने अमेरिका की इस दलील को ठुकरा दिया की चीन ग़लत तरीके से अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है. इसके अलावा विश्व व्यापार संगठन ने यह भी मानने से इंकार कर दिया कि चीन अमेरिका के शोध और दूसरे इंटलएक्चुएल प्रॉपर्टी की चोरी कर रही है.
विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के प्रतिनिधि का कहना था कि अमेरिका चीन को अपने हितों को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दे सकता है. उन्होने कहा कि अमेरिका के व्यापारी, किसान और कारोबारियों की रक्षा की जाएगी और चीन को यह अनुमति नहीं दी जा सकती की वो उन्हे नुकसान पहुंचाता रहे.
अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर शुल्क पहले 10 प्रतिशत कर दिया था और फिर 8 महीने में ही इस बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया. इससे चीन का कम से कम 200 बिलियन डॉलर का उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में नहीं पहुंच सका या फिर वो इतना महंगा हो गया कि लोगो उसे ख़रीद ही नहीं सकते थे.
चीन ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन के फ़ैसले का सम्मान होना चाहिए और अमेरिका को इसे स्वीकार करना चाहिए.